बात चौकाने वाली नहीं शर्मशार करने वाली जरुर है| जिस देश की सरकार एक व्यक्ति को 28 रुपये प्रतिदिन खर्चे से ज्यादा खर्च करने पर गरीब नहीं मानती| जिस भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार निपट गरीब 17/- प्रतिदिन में गुजर-बसर करते हैं, जिस भारत का योजना आयोग 28/- रोजाना खर्च करने बाले को गरीब नहीं मानता है, जिस देश की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता 12 /- और 5 /- में भरपेट भोजन मिलने के दावे करते हैं उसी देश की सत्तारूढ़ सरकार अपने चौथे सालगिरह जश्न पर प्रति आगंतुक 6871 /- खर्च खर्च कर देती है|
लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय से अपील के बाद जुताई गयी सूचना बाकई आम आदमी के लिए जान लेना जरुरी है| प्राप्त सूचना के अनुसार इस सालगिरह जश्न में 522 मेहमान निमंत्रित थे| जिनमे से 300 ने इस सालगिरह जश्न में शिरकत की ल आगंतुकों की संख्या से स्पष्ट है कि जश्न में बुलाये गए लोगों में से 43% से अधिक अनुपस्थित रहे जो जनता के पैसे से किये जा रहे आयोजन के नियोजनकताओं की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है कि आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया जो कार्यक्रम में आने बाले ही नहीं थे l
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
आये हुए 300 मेहमानों पर किये गए खर्चों के मदवार आंकड़े भी बेहद चौकाने बाले हैंl प्रधानमंत्री द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार इस कार्यक्रम
में प्रति आगंतुक 3719/- प्रति आगंतुक की भारी भरकम रकम टेंट की व्यवस्था में,2103 /- प्रति आगंतुक की भारी भरकम रकम खान-पान में और 1012 /- प्रति आगंतुक की भारी भरकम रकम बिजली व्यवस्था में खर्ची गयी|