प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार सहायक अध्यापकों के लिए बी0एड0 डिग्री धारकों के लिए यह नौकरी मुंगेरीलाल के हसीन सपने बनती नजर आ रही है। लगभग एक वर्ष से नौकरी की आस लगाये इन युवा बेरोजगारों के चेहरों पर बुढापे की झलक दिखाई दे रही है। जहां पूर्व की भर्ती में मेरिट के माध्य से भर्ती होती थी उसमें ‘‘मेरिट में हीरो लेकिन नालेज में जीरो का फार्मूला खूब चला। किन्तु टीईटी परीक्षा से सारा दूध का दूध और पानी का पानी अलग कर दिया था। फिर भी भारी हेरा फेरी के चलते इसका परीक्षा परिणाम न्यायालय की चौखट पर पहुंच गया तथा कई वरिष्ठ शिक्षाधिकारी भी जेल की हवा खा रहे हैं।
जब टीईटी की लिखित परीक्षा में भारी हेराफेरी हुई तो सरकार ने उसे निरस्त क्यों नहीं किया? उसमें भी हीरो और जीरो का जरूर खेल चला। फिर न्यायालय के दोहरे आदेश से भर्ती प्रक्रिया और गंभीर धर्म संकट में फंस गई। जहां न्यायालय में बगैर टीईटी वालों को विशिष्ट बीटीसी चयन सूची में शामिल करने का आदेश दिया तो वहीं उच्च योग्यताधारी टीईटी पास बीएड धारकों के जमीन खिसक गयी। अर्थात इस भर्ती प्रक्रिया में बेरोजगारों में गुटबंदी हो गयी।
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अब मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है और टीईटी पास तथा गैर टीईटी पास बीएड बेरोजगार सुप्रीम कोर्ट की अन्तिम बैंच तक लड़ते रहेंगे तथा उपरोक्त 72 हजार अध्यापकों की भर्ती मुंगेरीलाल के हसीन सपने बन कर रहेगी।
सुगंध की कलम से साभार