विश्लेषण- महिला और युवा वोटर तय करेंगे फर्रुखाबाद का विधायक

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फर्रुखाबाद: सदर फर्रुखाबाद का विधायक बनाने की चाबी सही मायने में इस बार महिलाओं के हाथ लगी है| वैसे दूसरे नंबर का निर्णायक वोटर युवा वर्ग भी रहेगा| इन दोनों समीकरणों में जातीय आंकड़े पानी भरते नजर आयेंगे| दो महिला प्रत्याशी मैदान में है| केंद्र और प्रदेश में नूरा कुस्ती के आरोपों से घिरी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की महिला प्रत्याशी को मिले मत फर्रुखाबाद का विधायक तय कर देंगे| इसका मतलब ये न समझा जाए कि पक्के तौर पर विधायक महिला ही बनेगी|

20.01.2012 को फर्रुखाबाद विधानसभा में JNI के 41256 मोबाइल न्यूज़ पाठको से पूछी गयी राय (फर्रुखाबाद का विधायक किसे बनना चाहिए?) में मिले परिणाम के विश्लेषण के मुताबिक साइकिल और पंजा एक दूसरे से जुड़े हैं| जुड़ने का मतलब ये है कि अगर पंजा मजबूत होता है तो साइकिल की हवा निकलेगी और पंजा (लुईस लुईस खुर्शीद) कमजोर होता है तो साइकिल (उर्मिला राजपूत) दौड़ में रहेगी| एक दूसरे के मतों को प्रभावित करने में हाथी और निर्दलीय का सम्बन्ध रहेगा| हाथी के कमजोर होने पर निर्दलीय विजय दौड़ में बना रहेगा और यदि हाथी मजबूत होता है तो नुकसान विजय का सबसे ज्यादा होगा| मजेदार स्थिति ये है कि भाजपा, जन क्रांति पार्टी और निर्दलीय अनुपम की स्थिति तठस्थ रहेगी| भाजपा (मेजर सुनील दत्त द्विवेदी) की जीत का दारोमदार साइकिल और निर्दलीय विजय के कमजोर होने पर निर्भर रहेगा| कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय और संघर्षमय होगा| मुकाबले में एक राष्ट्रीय दल, एक प्रांतीय दल और एक निर्दलीय ही रहेगा, बाकी सब इन सबको आगे पीछे करने के फैक्टर बनेगे| फ़िलहाल मतों के पड़ने में अभी 25 दिन का वक़्त है और चुनाव एक रात में बदलता है| मगर आज सोमवार 20.01.2012 को स्थिति ये है कि उर्मिला राजपूत, विजय सिंह और मेजर सुनील ही मुकाबले की स्थिति में है अन्य को मुकाबले में आने के लिए कड़े संघर्ष की जरुरत है| ये जरुरी नहीं कि यही स्थितिया आगे भी बरक़रार रहे| अभी बड़े नेताओ के दौरे लगेंगे, वोटरों को खरीदने का लोभ लालच भी दिया जायेगा, कोई न कोई हवा चलेगी और ये सब फैक्टर भी प्रत्याशियो के मुकाबले के स्थान तय करेंगे|

सबसे बड़ा और पहली बार महिलाये और युवा वोटर नगर का विधायक तय करेंगे| इनमे जातीय आंकड़े धरे रह जायेंगे| महिला वोटरों के सामने दो महिलाओ में से किसे चुनना है ये बड़ा विकल्प होगा| पांच साल तक नगर में रहकर फर्रुखाबाद महोत्सव से लेकर लाल काली पीली महिला सेना बनाकर मीडिया में सुर्खिया बटोरने वाली उर्मिला और केंद्रीय मंत्री की पत्नी लुईस खुर्शीद में से किसे चुनना है| प्रत्याशी के साथ जुड़े साइड फैक्टर पांच साल तक भले ही निष्क्रिय रहते हो मगर चुनाव में ये फैक्टर चौराहों तिराहो और घर घर में चर्चा का विषय बनते है| वैसे केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का मुसलमानों को खुश करने के लिए चला गया 9 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा पूरे यूपी में कितना प्रभावी होगा ये कहना मुश्किल है मगर फर्रुखाबाद में इसका असर दिखने लगा है| ये फैक्टर कांग्रेस के लिए फर्रुखाबाद में फायदे ज्यादा नुकसान कर सकता है| सभी जातियों की पसंद पर सांसद बने सलमान खुर्शीद से फर्रुखाबाद की गैर मुसलमान जनता को चुनावी फायदे के लिए दिए गए इस व्यक्तव्य की कतई उम्मीद नहीं थी| दूसरी बात ये भी है कि सलमान खुर्शीद के प्रशंसक फर्रुखाबाद में मुसलमानों के मुकाबले हिन्दू ज्यादा है जबकि उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद के बारे में ये बात कहीं नहीं ठहरती| इधर भाजपा पिछडो के हिस्सा मारे जाने की बात को चुनाव में जमकर भुनाएगी और वोटो का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास करेगी जिसमे वो कामयाब होती दिख रही है| मगर ये पिछड़ा भाजपा के साथ रहेगा ये वोट लेने के वाले की क्षमता पर निर्भर रहेगा| कुल मिलाकर कांग्रेस को पिछडो की नाराजगी कम से कम फर्रुखाबाद में झेलनी पड़ेगी ही|