बेसिक शिक्षा: डीएम के हस्ताक्षर से फर्जी रिपोर्टिंग करा दी MDM समन्वयक ने

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फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा फर्रुखाबाद में एक और घोटाले की बुनियाद तैयार है| मिड डे मील की रसोईघर के रखरखाव और विद्यालय स्तर पर स्टेशनरी मद का 7,10,560.00 रुपया 31 मार्च 2011 को खर्च दिखा दिया गया| जिला समन्वयक MDM की तैयार रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010-11 में इस मद का क्लोजिंग बेलेंस केवल 12145.00 रूपये है| मगर चौकाने वाली बात ये है इस मद के सरकारी बैंक खाते में 23 मई 2011 को 8,78,314.00 रुपया शेष है| यानि लगभग 8.66 लाख रुपया गबन या घोटाले के लिए तैयार है जिसका बंदरबाट कभी हो सकता है| समन्वयक की बनायीं रिपोर्ट को ही बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जिलाधिकारी से बतौर नोडल अधिकारी हस्ताक्षर करवाकर प्राधिकरण को भेजी है|

पैसे को चुपचाप आहरित कर गोलाम करने का संदेह!

जेएनआई की पड़ताल में जो तथ्य सामने आये उसके मुताबिक जनपद के स्कूलों में ये पैसा दो महीने के बाद भी स्कूलों के खातो में नहीं पंहुचा| भ्रष्टाचार की सम्भावना के चलते जेएनआई ने अपने सूत्रों से पड़ताल आगे बढ़ाई तो पता चला की इस मद के जिला स्तरीय बैंक खाते पंजाब नेशनल बैंक के खाता संख्या 1934000100139306 में दिनांक 23 मई 2011 में 8,78,314.00 रुपया जमा है| जबकि प्राधिकरण को भेजी गयी रिपोर्ट के मुताबिक इस खाते में केवल 12145.00 रुपया शेष होना चाहिए|

विद्यालयों के खातो में दो महीने के बाद भी नहीं पहुची ये रकम!

ये पैसा 23 मई 2011 तक किसी भी स्कूल में नहीं भेजा गया| जेएनआई ने खुद कई स्कूलों के प्रधान अध्यापको से बात की तो उन्होंने बताया की पैसा आना तो दूर उन्हें तो इस बात की भी जानकारी नहीं है की इस मद भी कोई पैसा आता है| जाहिर है इस मद का पैसा 1850 स्कूलों में वितरित होना था| रकम छोटी होने के कारण आमतौर पर किसी की नजर भी नहीं पड़ी और घोटाले के लिए एक और प्लेटफार्म तैयार हो चूका है| सर्व शिक्षा अभियान के नियमानुसार सर्व शिक्षा अभियान में इस मद के पैसे का उपभोग तभी भेजा जाना चाहिए जब इस पैसे का स्कूल स्तर पर उपभोग हो जाता| मगर यहाँ तो स्कूल में पैसा पंहुचा ही नहीं और समन्वयक द्वारा उपभोग की रिपोर्ट भेज दी गयी| ये एक बड़ी वित्तीय अनियमितता है| इस खाते में कब कब और कैसे कैसे पैसे का लेन देन हुआ इसकी पिछली जाँच हुई हो कई अफसर वितीय अनियमितता में फस सकते हैं|

इस खाते में और भी हो सकते है घोटाले

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी पहल के बाद शुरू हुई मध्याह भोजन योजना यानो दोपहर में बच्चो को पका पकाया भोजन खिलाने की मिड डे मील प्रदेश में फर्जीवाड़े और घोटालो की भेट चढ़ रही है| इस योजना में स्कूल में स्थापित रसोईघर में दोपहर का भोजन बनता है| उस रसोईघर के रखरखाव के लिए ऊंट के मुह में जीरा की तरह वार्षिक रखरखाव के लिए 200 रुपये प्रति और 75 प्रति स्कूल स्टेशनरी की मद में केंद्र सरकार ने भेजा| फर्रुखाबाद के 1850 स्कूलों के लिए 1,38,750.00 रुपये स्टेशनरी के लिए और 3,70,000.00 रुपये रसोईघर के रखरखाव के लिए भेजा गया| यही नहीं 178 स्कूलों के लिए प्रति स्कूल 1000.00 रुपये बर्तनों के टूट फूट और परिवर्तन के लिए भेजे गए| ये पैसा स्कूल स्तर पर खर्च कर उपभोग भेजा जाना था| मद का उपभोग 31 मार्च 2011 को दिखा दिया गया|

सम्पादक की सलाह: जिलाधिकारी को सतर्क रहने की जरुरत

ज्यादातर योजनाओ में जिलाधिकारी जिलास्तर पर सरकारी योजनाओ के नोडल अधिकारी होते है| मध्याह भोजन योजना और सर्व शिक्षा अभियान की जिला स्तरीय समिति में जिलाधिकारी ही अध्यक्ष है| और सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नोडल अधिकारी भी| लिहाजा उनके हस्ताक्षर से इन योजनाओ में प्रगति और खर्च उपभोग की रिपोर्ट ही मान्य होती है और केंद्र और राज्य सरकार मांगती है| जिला स्तर पर इन विभागों के अफसर जिलाधिकारी को पूरी फ़ाइल न भेज तथ्य छुपा कर हस्ताक्षर कराने में कामयाब हो जाते है|

वैसे सरकारी योजनाओ में सोशल आडिट का भी प्राविधान है और विभागों की योजनाओ को व्यापक प्रचार प्रसार के बाद सोशल आडिट पर ध्यान दिया जाए तो भ्रष्टाचार पर काफी अंकुश लग सकता है|

इस खबर का मकसद:

जे एन आई का मानना है हो चुके घोटाले पर काम करने से बेहतर है ऐसा काम किया जाए जिससे घोटाला होने ही न पाए|