लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक तरह से विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में युवा मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। युवाओं को रिझाने में कामयाब रहने वाले उम्मीदवारों के लिए पंचायत चुनाव जीतना कहीं ज्यादा आसान होगा। कारण है कि पंचायत चुनाव के 11.43 करोड़ मतदाताओं में आधे से अधिक 35 वर्ष से कम उम्र वाले युवा हैं जबकि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले मतदाताओं की संख्या मात्र दस फीसद ही है।
पंचायत चुनाव के मद्देनजर तकरीबन साढ़े तीन माह की कवायद के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेशभर के मतदाताओं की संख्या को अंतिम रूप दे दिया है। गौर करने की बात यह है कि 2010 में हुए पंचायत चुनाव के 11.15 करोड़ मतदाताओं में मात्र 28 लाख का ही इजाफा हुआ है। पांच वर्ष में सिर्फ 28 लाख मतदाताओं के बढऩे के सवाल पर राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल का कहना है आयोग की पूरी कोशिश रही है कि कोई भी फर्जी मतदाता सूची में न रहने पाए। ऐसे में डी-डुप्लीकेट साफ्टवेयर के जरिए सूची की जांच करने पर रिकार्ड 1.85 करोड़ पाए गए फर्जी व अयोग्य मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। हालांकि 2.13 करोड़ नए मतदाता सूची में जुड़े भी हैं।
खास बात यह कुल मतदाताओं में 51.5 फीसद 18 से 35 वर्ष के युवा ही हैं। इनमें 28.02 फीसद पुरुष तथा 23.49 फीसद महिला मतदाता हैं। इसी तरह 36 से 60 वर्ष की आयु वर्ग वाले 38.5 फीसद मतदाताओं में 20.39 पुरुष तथा 18.15 फीसद महिला वोटर हैं। मतदाता सूची में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले मात्र 10 फीसद हैं जिसमें से 4.92 फीसद पुरुष व महिला मतदाता की हिस्सेदारी 5.04 फीसद है।
कुल आबादी में 66.57 फीसद मतदाता
पिछले पंचायत चुनाव में ईपी रेशियो यानी जनसंख्या के सापेक्ष मतदाताओं की संख्या भले ही 71.92 थी लेकिन अबकी बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं के सूची से बाहर होने से यह 5.35 घटकर 66.57 ही रह गई है। राज्य निर्वाचन आयुक्त का स्पष्ट तौर पर कहना है कि वर्ष 2010 के पंचायत चुनाव में 2749 ग्राम पंचायतें तो ऐसी थीं जिनका ईपी रेशियो 100 से ज्यादा था लेकिन इस बार ऐसी एक भी ग्राम पंचायत नहीं बची है क्योंकि गड़बड़ी होने पर ही ऐसा संभव है। भारत निर्वाचन आयोग की वर्ष 2015 की मतदाता सूची में कुल आबादी का 65.1 फीसद ही मतदाता हैं।