सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे नेताओं अफसरों के बच्चे

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up-assemblyलखनऊ:हाईकोर्ट द्वारा सरकारी सेवकों, स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, न्यायाधीशों और राजकोष से वेतन व सुविधाएं पाने वाले लोगों को अपने बच्चों को परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने के बारे में दिए गए आदेश का सरकार पालन करेगी। गुरुवार को विधान परिषद में सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया।

प्रश्नकाल के दौरान सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने अनुपूरक प्रश्न किया कि सरकार कब तक हाई कोर्ट के फैसले को क्रियान्वित करेगी? जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश शिरोधार्य है। आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है, सरकार उस पर विचार कर रही है। न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा। ध्यान रहे, हाई कोर्ट ने 18 अगस्त को यह आदेश पारित करते हुए कहा था कि सरकारी खजाने से वेतन व सुविधाएं ले रहे बड़े लोगों के बच्चे जब तक प्राथमिक शिक्षा के लिए अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, तब तक इन स्कूलों की दशा नहीं सुधरेगी। अदालत ने सरकार को छह महीने में आदेश पर अमल का निर्देश दिया है।

अनुदान सूची में जूनियर हाईस्कूलों के लिए नीति तय नहीं

शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वर्तमान में स्थायी मान्यताप्राप्त जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने की कोई नीति निर्धारित नहीं है। इस मद में कोई वित्तीय व्यवस्था भी नहीं है। शिक्षक दल के ही हेम सिंह पुंडीर ने सरकार को याद दिलाया कि सपा ने ने अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का वादा किया था। उन्होंने जानना चाहा कि सरकार कब अपने वादे पर अमल करेगी। जवाब में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ही जूनियर हाईस्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला किया जाएगा।