फर्रुखाबाद: इससे बड़ी बेशर्मी की हद और क्या होगी कि जिन नौनिहालों की शिक्षा और व्यवस्था पर सरकार देश का सबसे बड़ा बजट खर्च करती हो, मास्टर मोटा वेतन पाते हो, उस देश में हाड कपा देने वाली कडकडाती सर्दी में सरकारी स्कूलों में बच्चे नंगी फर्श पर बिना टाट फट्टी के बैठते हो|
तस्वीरे गवाह है मगर ये तो एक बानगी है| ये तस्वीर है उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज ब्लाक के नगला विधि प्राइमरी पाठशाला की जो 15-दिसम्बर 2010 को ली गयी है| तारीख और महीना जेहन में आने के बाद ही मौसम का मिजाज आपको अपने आप महसूस हो जायेगा| जरा सोचो इस बारे में कि कैसे इस स्कूल में नौनिहाल छात्र छात्राएं जिन्हें न स्कूल ड्रेस मिली और न ही बस्ता वे हाड कपटी सर्दी में भविष्य में कुछ बन जाए इसलिए पढ़ने बैठे है| स्कूल में फर्नीचर का पैसा (प्रधान या मास्टर) कौन खा गया, ये बाद का विषय है मगर इस कड़ाके की सर्दी में टाट फट्टी भी पत्थर दिल मास्टरों ने उपलब्ध नहीं करायी| उत्तर प्रदेश के दूर दराज ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में कमोवश यही हाल है| दूसरी तस्वीर इसी स्कूल के शौचालय की है जो छात्र और छात्राओं के लिए बनबाई गयी है- तस्वीर देखने के बाद शायद लिखने को कुछ रह नहीं जाता|
फरुखाबाद के विधायको की पहली पसंद भी है- स्कूलों को निधि बाटना
ये नजारा तब और गंभीर तरीके से सोचने पर मजबूर कर देता है जब हमारे जनप्रतिनिधि विधायको की विकास के नाम पर पहली पसंद शिक्षा के लिए स्कूलों को अधिक से अधिक निधि बाटना है| जनपद में 1998 से लेकर आज तक शिक्षा के लिए विधायक निधियो से कुल जमा 20 करोड़ से ज्यादा धन माननीयों ने रेवडियो की तरह बाट दिया है| एक एक स्कूल को 4-4 करोड़ तक की धनराशी मिली है| सोचो और अपनी अभिव्यक्ति भी लिखो कि ये पैसा कहाँ गया होगा, किसे मिला होगा| क्यूंकि ये गरीब और मासूम दूसरों के बच्चे है इसलिए नंगी फर्श पर बैठे है इन माननीयों और मोटी तनख्वाह पाने मास्टरों और अधिकारिओ के नहीं|