बीजेपी के सदस्यता अभियान में ‘मिस कॉल’ से सदस्य बनाने का जोश अब कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ रहा है। दूसरे चरण में जब अब महासंपर्क अभियान शुरू हो रहा है, तो मोबाइल से बनाए गए सदस्य ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
बीजेपी ने अपना सदस्यता अभियान पिछले साल नवंबर में शुरू किया था। 31 मार्च तक अभियान का पहला चरण चला। इसके बाद इसे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था। पूरे प्रदेश में बीजेपी ने जहां 10 करोड़ से अधिक सदस्य बनाए, वहीं यूपी में भी 1.77 करोड़ सदस्य बने। अब महांसपर्क अभियान के जरिए उनका व्यक्गित विवरण जुटाने और पार्टी की परंपरा और उपलब्धि से अवगत कराने का काम शुरू किया गया है।
भारी पड़ रहा नया प्रयोग
सदस्यता अभियान के दौरान यूपी में बाजारों, दलित बस्तियों से लेकर बसों-ट्रेनों तक में सदस्य बनाए गए। कई सदस्यों से 500 से 10 हजार तक सदस्य बनाए हैं। कुछ कार्यकर्ताओं ने ट्रेनों में यात्रा करके यात्रियों तक को सदस्य बनाए। अब जब उनसे सदस्यता फार्म भरवाने हैं तो पसीने छूट रहे हैं।
डिटेल के नाम पर उनके फोन नंबर और पते तो हैं लेकिन दिक्कत ये आ रही हैं कि कार्यकर्ता किसी शहर का है और जिसे सदस्य बनाया गया वह दूसरे शहर का है। वहां के जिला संगठन अपने ही लक्ष्य को पूरा करने में लगे हैं ऐसे में वह दूसरे सदस्यों को अपने खाते में जोड़ने को तैयार नहीं है। संयोग यह है कि जब बीजेपी का बूथ सदस्यता अभियान लॉन्च हुआ था तो कड़ाके की ठंड थी और महासंपर्क अभियान शुरू होने के बाद पारा 44 से नीचे नहीं आ रहा है।
डोर टु डोर अभी भी दूर
बीजेपी ने जो महासंपर्क अभियान का कार्यक्रम तैयार किया है उसमें कार्यकर्ताओं को डोर टु डोर जाकर लोगों से संपर्क करना है। पार्टी की रीतियां-नीतियां बतानी हैं। लेकिन अभी तक महासंपर्क अभियान का स्वरूप सम्मेलनों का ही है। जिलों में बड़े कार्यक्रमों, नेताओं, सांसदों और मंत्रियों की जुटान तो हो रही है लेकिन गांव, गलियों, मुहल्लों तक कार्यकर्ताओं का पहुंचना अभी बाकी है।