मानव जीवन का हमें दुरूपयोग नहीं अपितु सदुपयोग करना चाहिए: देवकीनंदन

FARRUKHABAD NEWS

DEVKIफर्रुखाबाद:(मोहम्दाबाद)विश्वभर में शांति के साथ घर .घर में शांति हो ऐसी चाहत रखने वाले विश्व विख्यात शांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य सहसपुर फर्रुखाबाद में आयोजित भव्य श्रीमद भागवत कथा का आज विराम दिवस रहा सभी भक्तों ने लगातार सात दिनों की कथा सुनने के बाद आज की कथा सुनकर दो बार कथा सुनने का फल प्राप्त किया। सर्वप्रथम सभी भक्तों ने आरती के दर्शन किये। उस के बाद कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए महाराज जी ने कहा भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं है वह हम सब के ह्रदयों में मौजूद है अगर जरूरत है तो सिर्फ महसूस करने की और जिस दिन हमारा मन भगवान की सच्ची भक्ति में लग जायेगा उसी दिन से हमें भगवान की उपस्थिति महसूस होने लगेगी और भागवत कथा को मन क्रम वचन से श्रवण करना उसी सच्ची भक्ति का सबसे बड़ा मार्ग है। जिस भागवत कथा को आज हम यहाँ बैठकर सुन रहे हैं हमें मालूम होना चाहिए भगवान भी इस भागवत कथा को सुनने के लिए धराधाम पर आये थे। ये भागवत हमें सीधे श्री कृष्ण के दर्शन कराती है और ये भागवत एक ऐसा कल्पवृक्ष है जिससे हम जो भी मागेंगे वो हमें अवश्य मिलेगा लेकिन उससे पहले हमें भगवान पर यकीन करना होगा उसके बाद देखना भगवान हमारे जीवन को इतना अनमोल बना देंगे की हर व्यक्ति प्रभु से हमारे जीने की दुआ मागेगा।

महाराज जी ने सनातन धर्म को आगे के लिये युवाओ से आह्यगन किया कि तिलक, कलावा कंठी और भगवान का नाम अवश्य ले। कलयुग के प्रभाव को कम करने के लिये श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करें।ठाकुर जी ने कहा ये मानव जीवन हमें बार .बार नहीं मिलता इसका हमें दुरूपयोग नहीं अपितु सदुपयोग करना चाहिए। आज हमारे देश में गंगा एयमुना एगाय कुछ भी सुरक्षित नहीं है क्यों घ् क्योंकि आज हम अपनी संस्कृति को भूलकर संसार की मोहमाया में लिप्त हो चुके हैं। जिस कार्य के लिए भगवान ने हमें ये मानव जीवन दिया है उससे हम भटक चुके हैं। हमारे देश को आज ऐसे युवाओं की जरुरत है जो अपने धर्म का प्रचार करने में बढ चढ़कर हिस्सा लें और भगवान को भी ऐसे ही लोग प्रिय हैं जो अपने धर्म को बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हों और आज के युवा ही हमारे आने वाले कल का भविष्य हैं।इसलिए हमें अपने साथ अपने बच्चों को भी कथा श्रवण करवाने अवश्य लाना चाहिए।

शनिवार की कथा में पूज्य ठाकुर जी महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सभी भक्तों को विस्तार पूर्वक स्मरण करवाई और कहा आज हमारा कोई भी मित्र सुदामा जैसा नहीं हो सकता। आज की इस दुनिया के हमारे सभी मित्र भोगी और लालची हैं तो हम ऐसे मित्रों को क्यों अपना बनाये जो हमें धर्म से अधर्म की ओर ले जाएँ एसभ्य रास्ते पर ले जाने की बजाय असभ्य रास्ते की ओर ले जाएँ। इसलिए हमें दुनिया के लोगों को अपना मित्र बनाने की बजाय सर्वेश्वर श्री कृष्ण भगवान को अपना बनाना चाहिए।

अंत में कथा के मुख्य यजमान के साथ सभी भक्तों ने भागवत जी की विदाई की और विदाई में सभी ने अपनी बुराइयाँ भागवत जी पर समर्पित कर आगे से धर्म के रास्ते पर चलने की कसम खाई।आखिरी दिन हुई भक्तों की अपार संख्या ने यह दिखा दिया कि महाराज जी की कथा चाहे जहाँ भी हो वहीँ लाखों की संख्या में उन के भक्त मौजूद रहते हैं।आज जहाँ तक नजर जा रही थी वहाँ सिर्फ भक्त ही भक्त नजर आ रहे थे।कथा के समापन अवसर पर यजमान डा0 अनुपम दुवे एडवोकेट ने परिजनों के साथ आरती की। यजमान डा0 अनुपम दुवे दम्पत्ति ने सिर पर श्रीमद् भागवत जी को विराजमान कर व्यास गद्दी की परिक्रमा की। इस दौरान पूरा पंडाल राधे-राधे के उच्चारण से गूंज गया।