लखनऊ: जिला पंचायत के बाद अब सूबे के 813 क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पदों की खातिर सियासी जोर आजमाईश होगी। अधिकांश स्थानों पर बसपा व सपा में ही भिड़ंत होगी, जबकि कांग्रेस ने मुकाबले से बाहर रहने का फैसला लिया है। दूसरी ओर भाजपा व रालोद केवल मजबूत सीटों पर ही उम्मीदवार उतारेगी और शेष स्थानों में बसपा को हारने की लामबंदी करेंगी।
एटा जिले को छोड़ शेष 71 जिलों में 813 ब्लाक प्रमुखों का चुनाव 22 दिसम्बर को होना है। ग्रामीण राजनीति में अहमियत रखने वाले इन चुनावों में भी जिला पंचायत की तरह ही सत्ता, धन बल व बाहुबल का खुला दुरुपयोग होता रहा है।
राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अनुसार मंगलवार को जिला मुख्यालयों पर नामांकन पत्रों की बिक्री शुरू होगी। 20 दिसम्बर को सभी ब्लाक मुख्यालयों पर पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक नामांकन पत्र जमा किये जा सकेंगे और इसी दिन तीन बजे के बाद जांच होगी। 21 दिसम्बर को नाम वापसी के बाद मतदान 22 दिसम्बर को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक होगा। तत्काल बाद मतगणना प्रारम्भ कर परिणाम घोषित कर दिए जायेंगे।
सूबे की 55 जिला पंचायतों पर परचम फहराने के बाद बसपा की निगाहें ब्लाक प्रमुख पदों पर भी लगी है। इस बार ज्येष्ठ व कनिष्ठ प्रमुखों के चुनाव नहीं होंगे। इसलिए पूरी ताकत प्रमुख पदों पर ही लगी हैं। बसपा की कमान क्षेत्र प्रभारी, मंडल कोर्डिनेटर और जिलाध्यक्ष संभाले रहे हैं। दावा है कि आधे से ब्लाक प्रमुख इस बार बसपा के होंगे।
दूसरी ओर बसपा पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए सपा प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि सबसे अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्य समाजवादी पार्टी के हैं, परन्तु सरकारी मशीनरी बसपा को ताकत देने में लगी है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही का कहना है कि बसपा की दबंगई का डटकर मुकाबला होगा, जिन स्थानों पर पार्टी की मजबूत स्थिति रहेगी, वहां उम्मीदवार उतारेंगे तथा शेष जगह बसपा को हराने का काम करेंगे। रालोद विधायक हरपाल सैनी का दावा है कि पउप्र में बसपा की मनमानी रालोद ही लगाम लगायेगा।
कांग्रेस ने क्षेत्र पंचायत प्रमुख का चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। पार्टी ने राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन देकर चुनाव की तारीख कम से कम एक सप्ताह आगे बढ़ाने की मांग की है। तारीख बढ़ाने के पीछे कांग्रेस का तर्क है कि 19 एवं 20 दिसम्बर को कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में होने जा रहा है और 20 दिसम्बर को आयोग ने क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने तथा 22 दिसम्बर को मतदान की तारीख तय की है। हालांकि आयोग ने कांग्रेस की इस मांग को खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है इसलिए इसमें फेर-बदल किया जाना संभव नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने पत्रकारों को बताया कि जिला पंचायत अध्यक्षों की भांति क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के पदों पर भी कब्जा करने के लिए बसपा सरकार के दबाव में यह चुनाव जल्दबाजी में कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव हुए हैं। धनबल, बाहुबल और सत्ताबल के दम पर बसपा ने जिला पंचायतों पर कब्जा कर लिया है। अब क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव को हाईजैक करना चाहती है। विरोध स्वरूप कांग्रेस ने न तो जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव लड़ा था और न ही क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ेगी, किन्तु कांग्रेस समर्थित जो उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे उनका समर्थन जरूर करेंगे।