नई दिल्ली: पिछले दस सालों में महंगाई बेहिसाब बढ़ी है, जिसमें बच्चों की शिक्षा भी शामिल है। ASSOCHAM के एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च 2005 की तुलना में 2015 तक 150 फीसदी बढ़ा है और बढ़ी है मां बाप की टेंशन भी। इस बढ़े हुए खर्च को देखते हुए ज्यादातर दंपत्ति अब हम दो हमारे दो नहीं बल्की हम दो हमारा एक की बात कह रहें हैं।
आए दिन बढ़ते दाम और हर मौसम बदलते स्कूल की फरमाईश। ये सर्वे मेट्रो शहरों में कराया गया। जिसमें 1600 कामकाजी अभिभावकों से सवाल पूछे गए और सर्वे के नतीजे चौंकाने वाला है। अच्छी शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। पिछले दस सालों में बच्चों की पढाई का खर्च 150 गुना बढ़ गया है। सर्वे में ये बात सामने आई है कि 70 फसदी अभिभावक अपने वेतन का 30 से 40 फीसदी हिस्सा एक बच्चे की पढ़ाई पर खर्च करते हैं।
Assocham के इस सर्वे में दस सालों यानी साल 2005 से 2015 तक आंकलन किया गया है, जिसमें 10 में से 9 अभिभावक मानते हैं कि अपने बच्चे की फीस भरना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। साल 2005 में जहां सालाना एक बच्चे को पढाने का खर्च 65000 आता था वहीं आज 125000 हो गया है, यानी की 150 फीसदी का इज़ाफा।10 में से 1 अभिभावक ज्यादा फीस के चलते अपने बच्चे को मनपसंद स्कूल में नहीं पढ़ा पाते।
सर्वे में ये पाया गया की स्कूल फीस के साथ साथ हर चीज़ जो एक बच्चे को स्कूल में जरूरत होती है उनके भी दाम बढ़े हैं। इनमें यूनीफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी, ट्रांसपोर्ट, स्कूल डेवलपमेंट फीस शामिल है। सर्वे में ये भी पाया गया की जिन परिवारों में दो बच्चें है वो उन्हें बच्चों को प्राइवेट में भेजने में दिक्कत हो रही है, लेकिन सरकारी स्कूल की खस्ता हालत को देखते हुए अभिभावकों के पास कोई चारा भी नहीं है।