नई दिल्ली: दिल्ली के राजेंद्र नगर में एक रेस्तरा में हुई मुठभेड़ को लेकर दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है। मुठभेड़ में मारे गए मनोज वशिष्ठ के घरवालों ने दिल्ली पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि वो तब तक मनोज के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती। वहीं दिल्ली पुलिस मुठभेड़ को सही ठहरा रही है। दिल्ली पुलिस का दावा है कि मनोज का एनकाउंटर पूर्वनियोजित नहीं था, बल्कि उसके पिस्तौल निकालने के बाद जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लगी।
ठगी और जालसाजी का कथित आरोपी मनोज वशिष्ठ मारा जा चुका है। दिल्ली की तेज तर्रार स्पेशल सेल के जवानों ने उसे राजेंद्र नगर के एक मशहूर रेस्तरां में ढेर कर दिया। लेकिन अब यही एनकाउंटर दिल्ली पुलिस के गले की हड्डी बन गया है। दिल्ली पुलिस एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों से घिर गई है। पुलिस के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि आखिर जालसाजी के आरोपी मनोज के सिर में गोली मारने की जरूरत क्यों पड़ी। रेस्तरां के भीतर देखें तो साफ समझा जा सकता है कि अगर पुलिस चाहती तो वो मनोज को बगैर गोली चलाए भी पकड़ सकती थी।मुठभेड़ में मारे गए मनोज वशिष्ठ के घरवालों ने दिल्ली पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये मुठभेड़ सुनियोजित नहीं थी। और मनोज के पिस्तोल निकालने के बाद बचाव में उसे गोली मारनी पड़ी। रविवार को पूरे दिन दिल्ली पुलिस की कई टीमें मनोज वशिष्ठ का क्रिमिनल बैकग्राउंड खंगालने में जुटी रही। मनोज पर दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में धोखाधड़ी और चेक बाउंस के 50 से ज्यादा मामले हैं। दो मामलों में उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका था और पुलिस को काफी दिनों से उसकी तलाश थी। पुलिस के मुताबिक मनोज, उसकी पत्नी, उसके भाई और उसके ससुर को 2002 में मैनपावर रैकेट में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, शनिवार रात करीब 7 उसे सूचना मिली की वो राजेंद्र नगर के सागर रत्ना रेस्तरां में एक कारोबारी मीटिंग के लिए आने वाला है। इस सूचना के आधार पर स्पेशल सेल का इंस्पेक्टर रेस्तरां में पहुंचकर एक टेबल पर बैठ गया। जबकि उसके बाकी साथी रेस्तरां के नीचे उसके इशारे का इंतजार करने लगे। करीब 8 बजे मनोज रेस्तरां में पहुंचा और एक टेबल पर जाकर बैठ गया। इस टेबल पर उसके साथ तीन महिलाएं और दो पुरुष भी बैठ गए।
पुलिस के मुताबिक मनोज का पहचान करने के बाद इंस्पेक्टर ने अपने साथियों को ऊपर बुला लिया। इसके बाद स्पेशल सेल की पूरी टीम मनोज की टेबल के इर्द-गिर्द खड़ी हो गई। इंस्पेक्टर ने मनोज को अपनी पहचान बताई और साथ चलने को कहा। लेकिन मनोज साथ चलने के बजाए उनसे उलझ पड़ा। पुलिस का दावा है कि इसके बाद मनोज ने अपनी प्वाइंट 32 बोर की लाइसेंसी पिस्टल निकाली और गोली चला दी। जवाब में एक सब इंस्पेक्टर ने भी गोली चलाई जो मनोज के सिर में लगी। इसके बाद मनोज को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस का दावा है कि ये पूरी घटना सिलसिलेवार तरीके से रेस्तरां में लगे 5 सीसीटीवी कैमरों में कैद है। मनोज के घरवालों ने खुलकर दिल्ली पुलिस पर उसकी हत्या का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मनोज के खिलाफ ऐसा कोई केस दर्ज नहीं था कि उसे सिर में गोली मारी जाए। मनोज वशिष्ठ मुठभेड़ कांड पर उठ रहे सवालों के बीच रविवार को दिल्ली पुलिस ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। दिल्ली पुलिस चुप है। उधर मनोज के घरवाले इंसाफ की गुहार लेकर केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली सरकार तक हर दरवाजा खटखटा रहे हैं।