नई दिल्ली। क्या सचमुच दिल्ली की सत्ता की खातिर अरविंद केजरीवाल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से हाथ मिलाने को बेचैन थे? आम डेस्क:आदमी पार्टी (आप) में फूट पड़ने के बाद पहली बार यह खुलासा कभी केजरीवाल के बेहद करीबी रहे प्रशांत भूषण ने किया था। अब बागी गुट के दूसरे बड़े नेता योगेंद्र यादव भी मान रहे हैं कि केजरीवाल उन पर राहुल से संपर्क साधने का बार-बार दबाव बनाते थे।
केजरीवाल पर सत्ता का भूखा होने का आरोप सबसे पहले प्रशांत ने लगाया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद केजरीवाल को लिखे एक खुले पत्र में भूषण ने लिखा कि आपने निखिल डे को बुलाया और उनसे आप संयोजक ने कहा कि वह राहुल से बात करें, ताकि दिल्ली में कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई जाए।
अब बागी गुट के दूसरे प्रमुख नेता योगेंद्र भी मान रहे हैं कि केजरीवाल बार-बार उनसे कहते रहे कि वह राहुल से बातचीत करें, ताकि दिल्ली में आप की राह निष्कंटक बनाई जा सके। हालांकि यादव ने केजरीवाल का डाकिया बनने से इन्कार कर दिया था।
सियासी गर्मी की आंच, घर में सिमटे मुख्यमंत्री
राय ब्यूरो, नई दिल्ली। जंतर मंतर पर आप की रैली में किसान की मौत से पैदा हुई सियासी गर्मी की आंच शुक्रवार को दिल्ली सचिवालय में दिखी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सचिवालय नहीं पहुंचे और घर से ही उन्होंने सरकार चलाई। उनके सचिव राजेंद्र कुमार भी अधिक समय तक मुख्यमंत्री निवास पर ही रहे। इसका असर दिल्ली सरकार के अधिकारियों व मंत्रियों पर भी दिखा।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार के बड़े नेताओं को उनके सलाहकारों ने शहर में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग न लेने की सलाह दी है। बताया जा रहा है कि शनिवार को होने वाले जनता बनाए अपना बजट कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री भाग नहीं लेंगे। सरकार को आशंका है कि उनके पहुंचने पर विरोधी लोग बवाल करा सकते हैं।
केजरीवाल से मिले शिवपाल, जल और जमीन पर हुई बात
राय ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में जारी सियासी उठापटक के बीच उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार को सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और उनसे राजधानी की सीमा को छूती उप्र की जमीन, प्रदूषण व यमुना जल बंटवारे को लेकर बातचीत की।
सूत्रों के अनुसार, उप्र सरकार ने दिल्ली से साफ-साफ कहा है कि यमुना जल बंटवारे मामले में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और दिल्ली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यमुना में निर्धारित जल स्तर बना रहे। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों नेताओं के बीच जमीन के मुद्दे पर भी बातचीत हुई। उप्र ने अपने सिंचाई विभाग की जमीन देने के मामले में कहा है कि वह सर्किल रेट के दामों पर दिल्ली को जमीन देने पर विचार करेगा।