‘पप्पू यादव मेरा बेटा है जो उत्तराधिकारी होगा ?’

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lalupappuसासाराम: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का कहना है कि पप्पू यादव उनके उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। उनके मुताबिक उनका बेटा ही उनका उत्तराधिकारी होगा। पप्पू ने पुत्र के स्वाभाविक उत्तराधिकारी होने संबंधी लालू के बयान पर सवाल उठाए थे। इसके जवाब में लालू ने कहा कि मेरे बेट के अलावा मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा? क्या पप्पू यादव मेरा बेटा है जो वह मेरा उत्तराधिकारी होगा?

बुधवार को ऐसे लोगों को नसीहत देते हुए लालू ने कहा कि पार्टी में रहना है तो रहें, नहीं रहना है तो जाएं। उन्होंने कहा कि समाजवादी दलों के विलय की सिर्फ औपचारिक घोषणा ही बाकी है। इसकी घोषणा 14 अप्रैल को दिल्ली में मुलायम सिंह यादव करेंगे। उल्लेखनीय है कि जनता परिवार के विलय होने पर मधेपुरा के राजद सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राजद छोड़ने की चेतावनी दे चुके हैं।

बुधवार को पटना से बारूण जाने के दौरान डेहरी के गोपी बिगहा में स्टोन क्रशर उद्योग समिति द्वारा समारोह आयोजित कर लालू का स्वागत किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए लालू ने कहा कि मेरे परिवार के लोग ही मेरे उत्तराधिकारी होंगे। वहीं पप्पू यादव ने कहा है कि राजद का वारिस बिहार की जनता तय करेगी। लोकतंत्र में संघर्ष करने वाला ही राजनीतिक वारिस हो सकता है। अगर ऐसा नहीं होता तो कर्पूरी ठाकुर और रामलखन सिंह यादव के वारिस लालू प्रसाद नहीं होते।

विलय के लिए अधिकृत किए गए शरद व नीतीश

पटना [जागरण ब्यूरो]। जदयू के राजद एवं जनता परिवार के अन्य दलों से विलय के लिए बुधवार रात्रि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया। यह निर्णय जदयू विधायक दल की मुख्यमंत्री के आवास पर हुई बैठक में लिया गया।

बैठक में जदयू के विधान पार्षद, लोकसभा सदस्य एवं राज्यसभा सदस्य भी मौजूद थे। इससे पूर्व राजद की ओर से विलय के लिए लालू प्रसाद अधिकृत किए जा चुके हैं। जनता परिवार के फिर से एका के तहत जिन छह दलों का विलय हो रहा है, उनमें बिहार के दो प्रमुख दल जदयू और राजद शामिल हैं। इस बैठक में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव उपस्थित नहीं थे।

विधानसभा में जदयू के मुख्य सचेतक एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि शरद यादव और नीतीश कुमार को अधिकृत करने का प्रस्ताव विधानसभा में जदयू विधायक दल के नेता एवं जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पेश किया। इसका सभी विधायकों, विधान पार्षदों एवं सांसदों ने हाथ उठाकर समर्थन किया।