लखनऊ: महज 31 दिन तक प्रदेश पुलिस के मुखिया के पद की जिम्मेदारी निभाने के बाद शनिवार को विदा हुए अरुण गुप्ता के स्थान पर सरकार ने अरविंद जैन को तैनाती दी है। जैन अखिलेश सरकार के सातवें डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) हैं। अरविंद जैन का कार्यकाल भी सिर्फ दो माह का होगा।
डीजीपी का कार्य संभालने केबाद जैन ने कहा कि उनके पास जितना समय है, उसका इस्तेमाल सदभाव बनाने और कानून व्यवस्था दुरुस्त करने में लगायेंगे। पुलिस में रहकर पुलिस की छवि धूमिल करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी। जाबांजी दिखाने वाले पुलिस कर्मियों की हौसला आफजाई में भी कसर नहीं छोड़ी जायेगी। उन्होने जोर देकर कहा कि वह खुद गश्त पर निकलेंगे। जिलों का दौरा करेंगे और पुलिस का मनोबल बढ़ाने के सभी जरूरी यत्न किये जाएंगे। नवनियुक्त डीजीपी ने कहा कि वह प्रदेश पुलिस को संदेश देना चाहते हैं कि निष्पक्ष और ठोस कार्रवाई करे, उनकी वजह से किसी निर्दोष व्यक्ति को प्रताड़ित नहीं होना चाहिए। नागरिकों का उत्पीड़न कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डीजीपी ने कहा कि जिम्मेदारी सौंपने से पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें कानून व्यवस्था बिगाड़ने का प्रयास करने वालों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शने की हिदायत दी है, जिस पर गंभीरता से पालन कराया जाएगा। खासकर गरीब, महिला, लड़कियों के साथ अपराध में संलिप्त लोगों के खिलाफ ठोस किन्तु निष्पक्ष कार्रवाई होगी। थाना स्तर पर एफआइआर में हीलाहवाली न रोकने के लिए आइजी, डीआइजी और एसएसपी को सक्रिय किया जाएगा।
आतंकवाद, नक्सलवाद पर अंकुश भी उनकी प्राथमिकता में शामिल रहेगा। उनकी कोशिश होगी कि जनता के साथ राप्ता (संबंध) बेहतर हों और लोग पुलिस पर विश्वास करना सीखें। पुलिस महानिदेशालय में होने वाला कामकाज और तेज किया जाएगा। डीजीपी अरविंद जैन मूल रूप से सहारनपुर के निवासी हैं और उन्होंने आइपीएस का प्रशिक्षण लेने के बाद मेरठ के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में नौकरी शुरू की थी। 13 मार्च 1955 को जन्मे अरविंद जैन की सेवा अवधि सिर्फ दो माह बची है। जाहिरा तौर पर इस पर उनका कार्यकाल भी दो माह ही होगा।