उत्तर प्रदेश में टला गंभीर बिजली संकट

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uppclलखनऊ: कोल इंडिया के कर्मियों की कल देर रात हड़ताल का मामला समाप्त होने से उत्तर प्रदेश में बिजली संकट का बड़ा खतरा टल गया। उत्तर प्रदेश में तकनीकी कारणों से बिजली घरों की पहले से ठप चल रही पांच यूनिटों के साथ ही कोयले की कमी के चलते कई और यूनिटें भी बंद होने की कगार पर थी। जरूरत के मुताबिक बिजली की उपलब्धता न होने से कल शहरों को दिन में दो-तीन घंटे कटौती से जूझना पड़ा।

दरअसल, राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अनपरा तापीय बिजली परियोजना की 210 मेगावाट, पनकी की 105 मेगावाट व पारीछा की 210 मेगावाट के अलावा केंद्रीय सेक्टर के रिहंद की 500 मेगावाट (उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 187 मेगावाट) तथा निजी क्षेत्र में लैंको की 600 मेगावाट की एक यूनिट तकनीकी कारणों से बंद होने के कारण कुल 1262 मेगावाट राज्य में बिजली की उपलब्धता कम हो गई है। बुधवार को दिन में बिजली की उपलब्धता घटकर 9226 मेगावाट ही रह गई जबकि मांग 10 हजार मेगावाट से ऊपर थी। मांग से कम बिजली होने के कारण ज्यादातर शहरों में दो से तीन घंटे अतिरिक्त बिजली की कटौती की गई। पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने बताया कि दिन में गांवों को बिजली देने के कारण शहरों में कटौती की जा रही है लेकिन अभी सभी को तय शेड्यूल के मुताबिक बिजली की आपूर्ति हो रही है। राज्य में बिजली का उत्पादन और घटने पर अतिरिक्त बिजली का इंतजाम करने की कोशिश की जाएगी।

दूसरी तरफ विद्युत उत्पादन निगम के निदेशक (तकनीकी) मुरलीधर भागचंदानी ने बताया कि बुधवार तक हड़ताल के चलते कोयले की आपूर्ति ठप होने का असर बिजली के उत्पादन पर नहीं पड़ा है। गुरुवार को भी हड़ताल जारी रहने की दशा में बिजली उत्पादन पर असर पडऩा तय था। कोयला न मिलने पर पारीछा व हरदुआगंज की यूनिटों को मजबूरी में एक-एक कर बंद करना पड़ता जिससे बिजली का उत्पादन घटना ही। ओबरा, अनपरा एवं पारीछा बिजली परियोजनाओं में से ओबरा में वर्तमान में औसत खपत के आधार पर 22 दिन, अनपरा परियोजना में 10 दिन एवं पनकी में आठ दिन का कोयला उपलब्ध है। हरदुआगंज में कोयले का स्टाक लगभग खत्म एवं पारीछा में मात्र एक दिन के लिए ही 15 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है।

हड़ताल के कारण मंगलवार को हरदुआगंज परियोजना के लिए एक रैक तथा पारीछा के लिए दो रैक ही लोडिंग हो पायी जबकि इन परियोजनाओं में प्रतिदिन क्रमश: तीन रैक व पांच रैक कोयले की आवश्यकता होती है। बुधवार को पारीछा परियोजना के लिए 21 रैक व हरदुआगंज के लिए सात रैक कोयला पाइप लाइन में था। इन परियोजनाओं पर कोयले के भंडार एवं पाइप लाइन में चल रही रैकों के मद्देनजर हरदुआगंज के लिए लगभग 34000 मीट्रिक टन यानी चार दिन एवं पारीछा परियोजना के लिए 89000 मीट्रिक टन यानी छह दिन के लिए पर्याप्त कोयला है। यद्यपि पारीछा एवं हरदुआगंज में कोयले का भंडार बहुत कम बचा होने से इन दोनों ही बिजली घरों से पहले-पहल बिजली का उत्पादन कम होता। देर रात भागचंदानी ने बताया कि अब चूंकि हड़ताल खत्म हो गई है इसलिए कोयले की कमी से कोई यूनिट बंद होने की उम्मीद नहीं है लेकिन स्थिति सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा। तकनीकी कारणों से बंद चल रही सभी यूनिटों से भी उत्पादन शुरू होने में अभी वक्त लगेगा।