रजिस्ट्रेशन के बगैर योग, प्राकृतिक चिकित्सा भी अपराध

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yoogलखनऊ: सरकार योग व प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रोंऔर इन पद्धतियों केविशेषज्ञों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने जा रही है। इसकी नियमावली तैयार हो गयी है, जिसमें बिना रजिस्ट्रेशन के इलाज को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद ही इस पर अमल हो सकेगा।

आधुनिक चिकित्सा पद्धति (एलोपैथी) के विशेषज्ञ डाक्टर भी अब मरीजों को योग करने का सुझाव देने लगे हैं। इससे बड़ी संख्या में योग व प्राकृतिक चिकित्सा के केंद्र खुल रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में अब तक इन पद्धतियों के रजिस्ट्रेशन का नियम नहीं है। इससे इन केंद्रों पर ली जाने वाली फीस, मरीजों को मिलने वाली गुणवत्ता का कोई मानक तय नहीं है। विशेषज्ञता का दावा करने वालों की शैक्षिक योग्यता की पड़ताल भी नहीं होती जबकि मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, केरल और कर्नाटक में पहले ही इन पद्धतियों के विशेषज्ञों का पंजीयन अनिवार्य है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्धति बोर्ड को पंजीयन की अनिवार्यता वाले राज्यों की तर्ज पर नियमावली तैयार करने का निर्देश दिया था। बोर्ड ने जो नियमावली बनायी है, उसमें पंजीयन के बिना इन पद्धतियों से इलाज को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। विशेषज्ञों को व्यक्तिगत रजिस्ट्रेशन कराना और पंजीयन नम्बर केंद्र के बोर्ड पर प्रदर्शित करना जरूरी किया गया है।

क्या है प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति

प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजे फल, कच्ची व हल्की पकी सब्जियों के जरिये विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है। पेट की बीमारियों मेंमिट्टी की पट्टी का प्रयोग होता है। इस पद्धति में जल चिकित्सा, सूर्य रश्मि चिकित्सा व उपवास कराकर इलाज किया जाता है।

तैयार है नियमावली

रजिस्ट्रार, आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड, डॉ. आरके आरके द्विवेदी ने बताया कि योग व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल करने वालों का बोर्ड में पंजीयन की नियमावली तैयार हो गयी है जिसे मंत्रिपरिषद की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। योग शिक्षकों के पंजीयन से रोगियों की संख्या, लाभ या हानि का आकलन किया जा सकेगा और मनमानी भी रुकेगी। दूसरे राज्यों की तरह इन पद्धतियों में डिग्र्री कोर्स शुरू हो सकेंगे।