देश में बरकरार है मोदी लहर

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voting-percentageनई दिल्ली: झारखंड और जम्मू-कश्मीर के आखिरी चरण में रिकार्ड तोड़ मतदान के साथ आए एक्जिट पोल में नरेंद्र मोदी की लहर का प्रवाह जारी है। महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद झारखंड में पूर्ण बहुमत से ज्यादा और जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक बढ़त हासिल करने की ओर बढ़ी भाजपा का उत्साह सातवें आसमान पर है।

इसी उत्साह और नैतिक बल ने बिहार और पश्चिम बंगाल की चुनावी तैयारियों के लिए भाजपा को एक ठोस आधार दे दिया है। वहीं विपक्षी दलों की चुनौती अब और बढ़ने वाली है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने झारखंड के एक्जिट पोल को राजद और जदयू की नई दोस्ती का पहला इम्तिहान बताते हुए उसे अभी से खारिज भी कर दिया।

झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजे तो मंगलवार को आएंगे लेकिन उससे पहले शनिवार का एक्जिट पोल देश की राजनीति, भाजपा और खासतौर पर संबंधित प्रदेश के लिए बहुत अहम है। अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक मिली जुली सरकार का दंश झेलते रहे झारखंड ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह में विश्वास जताकर न सिर्फ बहुमत बल्कि दो तिहाई बहुमत तक का संदेश दे दिया।

टुडेज-चाणक्य के सर्वे में तो झारखंड मे भाजपा को 61 सीटें तक दी गई हैं। 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में एक अन्य सर्वे इंडिया टीवी-सी वोटर सर्वे ने भाजपा के लिए सबसे कम सीटें भी दिखाई हैं। इंडिया टीवी-सी वोटर ने न्यूनतम सीटें 37-45 दिखाई हैं। इसमें 37 सीटें भी मानें तो ये भी बहुमत के काफी करीब है।

ध्यान रहे कि वहां पार्टी की ओर से कोई भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं था। ऐसे में लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही जहां जातिगत समीकरण टूटे हैं वहीं कांग्र्रेस-राजद और जदयू का गठबंधन सर्वे की तर्ज पर ही हाशिए पर गया तो इसका असर अगले साल होने वाले बिहार चुनाव पर पड़ना भी तय है।

भाजपा की ओर से इसे उछालने की कोशिश भी शुरू हो गई है। शाहनवाज ने कहा कि अलग होने के बावजूद बिहार और झारखंड का मन एक जैसा है। जिस तरह झारखंड में भाजपा इतिहास बना रही है उसी तरह बिहार में भी भाजपा की बहुमत की सरकार बनेगी।

वहीं जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल को बहुमत मिलने की संभावना नहीं है। यूं तो पीडीपी के नंबर एक पर रहने की संभावना है। लेकिन दूसरे नंबर पर संभावित भाजपा और पीडीपी के बीच बहुत बड़ा अंतर नहीं बताया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर का नतीजा इस तर्ज पर भी आया तो भाजपा के लिए यह जीत से कम नहीं होगा।

खासतौर पर तब जबकि न सिर्फ अनुच्छेद-370 के सहारे भाजपा को कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है बल्कि कुछ हद तक उसे कश्मीर के खिलाफ भी बताया जाता रहा है। जाहिर है कि झारखंड की सोच की तर्ज पर ही जम्मू-कश्मीर में बदलाव की लहर चली। यही नहीं अलगाववादियों को भी जनता ने संदेश देने की कोशिश की है।

संभव है कि नतीजों के बाद अलगाववादी नेताओं और उन्हें प्रश्रय दे रही ताकतों को बड़ा झटका लगे।

नया वर्ष आने से पहले भाजपा के लिए जहां जश्न की शुरूआत होनी है वहीं विपक्षी दलों को संभवतः अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा। गौरतलब है कि केंद्र में मोदी सरकार के छह महीने पूरे हो चुके हैं।

इस बीच संसद से लेकर सड़क तक कुछ मुद्दों पर एकजुट विपक्ष ने मंशा पर सवाल उठाने की कोशिश की थी। औद्योगिक घरानों के साथ संबंध और मिलीभगत के आरोप भी लगाए गए थे। लेकिन दोनों राज्यों के एक्जिट पोल को माना जाए तो विपक्ष के आरोपों को खारिज कर मोदी और शाह पर जनता का भरोसा बरकरार है।

अगली लड़ाई भाजपा इसी मनोवैज्ञानिक और नैतिक बल के साथ शुरू करेगी। कांग्र्रेस मुक्त भारत का मोदी का नारा अब और तेज हो सकता है। ध्यान रहे कि दोनों राज्यों में कांग्र्रेस भी सत्ता में शामिल रही थी।