उत्तरप्रदेश में करीब 35 हजार करोड़ रु. का अनाज दो सौ अफसरों ने मिलीभगत कर देश के दूसरे शहरों और विदेशों में बेच दिया। यह अनाज विभिन्न योजनाओं के तहत गरीबों को दिया जाने वाला था। खाद्यान्न घोटाले में कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तलाशी और जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी है।
यूपी की मुख्यमंत्री मायावती ने एक दिसंबर को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश कर दी थी। फिलहाल करीब 31 जिलों में खाद्यान्न आवंटन में गड़बड़ी पकड़ी गई है, लेकिन इसका दायरा और बढ़ने की आशंका है। गरीबों को मुफ्त या सस्ती दर पर अंत्योदय योजना, अन्नपूर्णा योजना और मध्यान्ह भोजन के तहत दिया जाने वाला अनाज 2001 से 2007 केबीच दूसरे राज्यों ही नहीं, नेपाल और बांग्लादेश तक बेचा गया। सात साल तक चली इस हेराफेरी को लेकर यूपी में करीब पांच हजार एफआईआर दर्ज हैं।
ईडी ने इस मामले में जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ मनी लांडरिंग एक्ट और फेमा के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस मामले में शामिल अफसरों को उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस दिए गए हैं। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उनकी संपत्तियों पर छापा मारकर जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।
तीन महीने में मिले भ्रष्ट अफसरों पर मुकदमे की अनुमति
भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार की अनुमति न मिलने पर मुकदमे से बचते रहे अफसरों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कानून में संशोधन करने को कहा है। यूपी के खाद्यान्न घोटाले में सुनवाई कर रही बेंच ने संसद से कहा कि कानून में संशोधन किया जाए ताकि तीन महीने में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुकदमा शुरू हो सके।
खाद्यान्न घोटाले में शामिल अफसरों पर मुकदमा चलाने की अनुमति न मिलने पर बेंच ने 3 दिसंबर को नाराजगी जताई थी। जजों ने कहा था कि यदि सरकार तीन महीने तक अनुमति नहीं देती है तो उसका इंतजार करने की जरूरत नहीं। यूपी सरकार ने राज्य के कई अफसरों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने की अनुमति देने से इनकार करते हुए सीआरपीसी की धारा 198 को आधार बताया था।
‘2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से बड़ा है यह घोटाला’
खाद्यान्न घोटाले को हाईकोर्ट में ले गए याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी के अनुसार, खाद्यान्न घोटाले में करीब दो लाख करोड़ के अनाज की हेराफेरी की गई है। यह आंकड़ा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की रकम से ही भी बड़ा है।