पंचायत चुनाव में होगा मतपत्र का प्रयोग

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voting countingलखनऊ: इस बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों का नहीं बल्कि मतपत्रों का ही इस्तेमाल होगा। इसके लिए लगभग 55 करोड़ मतपत्र प्रकाशित करने की प्रक्रिया आरम्भ करा दी गई है। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन का काम भी अंतिम दौर में है। जिलों से प्राप्त हुए प्रस्तावों का परीक्षण करने के बाद 15 नवंबर तक पंचायती राज निदेशालय द्वारा अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव वर्ष 2015 में प्रस्तावित है और प्रशासनिक स्तर पर तैयारी तेज हो गयी है। मतदान में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल तकनीकी कारणों से नहीं हो पाएगा। दरअसल पंचायत चुनाव में अधिकतम 54 चुनाव चिह्न का प्रयोग किया जाएगा और इतने निशान वाली ईवीएम उपलब्ध नहीं है। इसलिए वोट डालने के लिए मतपत्र पर मुहर लगा ही पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव होगा। सूत्रों के अनुसार चुनाव में 55 करोड़ से अधिक मतपत्रों की जरूरत होगी। मतपत्र नौ प्रकार के होंगे और उनका आकार एक कालम से लेकर छह कालम तक होगा। एक कालम वाले मतपत्रों पर नौ चुनाव चिह्न अंकित होगे जबकि छह कालम वाले मतपत्र पर 46 से 54 तक निशान होंगे। इनका इस्तेमाल उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर किया जाएगा।

एक हजार से ज्यादा नई ग्राम पंचायत सृजित होंगी
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ग्राम पंचायत पुनर्गठन व परिसीमन का कार्य अंतिम चरण में है। फिलहाल प्रदेश में 52 हजार के ज्यादा ग्राम पंचायतें है जबकि वर्ष 1949 में पंचायतों की संख्या 35 हजार थी। पंचायती राज निदेशक उदयवीर सिंह के मुताबिक अधिकतर जिलों से पुनर्गठन प्रस्ताव निदेशालय को प्राप्त हो चुके है। प्रस्तावों के परीक्षण का काम तेजी हो रहा है और 15 नवंबर तक अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि आबादी बढ़ने के कारण इस बार ग्राम पंचायतों की संख्या में वृद्धि तय है। प्रारम्भिक आकलन के मुताबिक 1130 नई ग्राम पंचायतों के सृजन की उम्मीद है। 15 नवंबर तक निदेशालय स्तर पर प्रस्तावों का परीक्षण का कार्य पूरा होने के बाद शासन स्तर पर आपत्ति मागी जाएंगी। इसके लिए करीब सप्ताह भर का समय दिया जाएगा और आपत्ति निस्तारण के बाद सरकार ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की अंतिम अधिसूचना जारी करेगी[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]