फर्रुखाबाद: श्री राम कथा की अमृत वर्षा के आज समापन अवसर पर उमड़ा जनसैलाब देखने लायक था| पंडाल खचाखच भरा हुआ था| स्वामी रामभद्राचार्य ने सभी को कथा का रस पान कराया| कथा में रावण वध से लेकर राम के अयोध्या बापस होने व भरत मिलाप का मनोहारी वर्णन किया गया|
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कथा का श्रवण कराते हुए कहा की प्रभु श्री राम ने सीता का पता लगाने के बाद बानर व भालुओ के साथ लंका पर की ओर प्रस्थान किया और समुद्र तट पर पंहुचे| वही विभीषण ने जब लंका पति रावण को समझाना चाहा तो रावण ने उसे लंका से निकाल दिया| प्रभु श्री राम ने उसे अपना लिया फिर समुद्र पर पुल बना कर सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना की| स्वामी जी ने कहा कि राम का नाम ही सेतु है जो संसार सागर से पार लगाता है|
समुद्र पार करने के बाद प्रभु ने अंगद को दूत बना कर रावण के पास भेजा जब रावण नही माना तब अंगद ने शत्रु का समाचार श्री राम को दिया| श्री राम ने इसके बाद लंका के चारो दरवाजो में सेना लगा दी| उसी समय मेघनाथ व लक्ष्मण का युद्ध हुआ मेघनाथ ने शक्ति का प्रयोग किया| जिसके बाद हनुमान जी ने संजीवनी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाये|
एक एक कर रावण के सभी परिवारी मारे गये जिसके बाद खुद लंकापति रावण प्रभु श्रीराम ने युद्ध करने आया तो प्रभु ने उसे अपने हाथो मार कर अपने लोक को भेज दिया| जिसके बाद उन्होने विभीषण को लंका का राजा बनाया और खुद पुष्पक विमान में बैठ कर आयोध्या के लिए लौट गये|
स्वामी जी ने चलत विमान कोलाहल होई,जय रघुवीर कहई सब कोई चौपाई को गाकर कहा की अयोध्या में आकर श्री राम ने भरत व जनता के साथ मिलाप किया| गुरु वशिष्ठ ने राम का अभिषेक किया| इस दौरान रामभद्राचार्य जी ने प्रथम तिलक वशिष्ठ मुनि कीन्हा, पुनि सबु विप्रन्ह आयसु दीन्हा का उच्चारण किया|
इस दौरान अबधेश दीक्षित, अनिल त्रिपाठी, उमा त्रिपाठी, मनोज अग्निहोत्री, रामनिवास गुप्ता, अनूप गुप्ता, नवीन मिश्रा, संजय गर्ग, सुरेन्द्र पाण्डेय, सत्यव्रत पाण्डेय आदि मौजूद रहे|
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