आज भी पहेली बना हुआ है गुड्डा का शव

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फर्रुखाबाद: प्रिया वर्मा ऑनरकिलिंग मामले में अभियुक्तों ने प्रिया वर्मा उर्फ़ सुजैन के साथ ही उसके प्रेमी नगीम उर्फ़ गुड्डा की भी हत्या कर दी थी| पुलिस की जाँच रिपोर्ट और अदालत में गवाहों के बयानों से गुड्डा की हत्या किए जाने की पुष्टि तो होती है| लेकिन उसका शव का आज तक सुराग नहीं लग सका है| इसी बजह से न्यायालय ने प्रिया वर्मा की हत्या के आधार पर ही अपना फैसला सुनाया है|

 

कायमगंज नगर क्षेत्र की बृंदावन गली निवासी प्रिया वर्मा ने अपनी मर्जी से घर से भागकर मोहल्ले के ही रहने वाले अपने प्रेमी नगीम उर्फ़ गुड्डा के साथ धर्म परिवर्तित कर निकाह कर लिया था| निकाह के बाद प्रिया ने अपना नाम सुजैन रख लिया था| इस घटना से पूर्व प्रिया का भाई संजय नाबालिग बहन को अगवा कर ले जाने के मामले में गुड्डा के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवा चुका था| पुलिस अभी मामले तहकीकात कर ही रही थी कि तब तक कन्नौज जिले में कोल्हाघाट के पास से कालीनदी पुल के नीचे पत्थर से दबा प्रिया का शव बरामद हो जाता है| जिससे मामले में नया मोड़ आ गया और पुलिस अपनी ही जांच में उलझ गई| यह मामला तब और फंस गया जब संजय ने कोतवाली में एक प्रार्थना पत्र देकर प्रिया की हत्या में गुड्डा का हाथ होने की बात कहकर उसकी गिरफ्तारी करने का दवाब बढ़ा दिया| लेकिन पुलिस की मुश्किल को प्रिया के उस ख़त ने आसान कर दिया जिसमे उसने धर्म परिवर्तित कर गुड्डा के साथ निकाह कर लेने की जानकारी पुलिस को दी थी| प्रिया ने यह ख़त रजिस्टर्ड डाक से कायमगंज कोतवाली पुलिस को भेजा था| इसी ख़त में उसने अपने भाई संजय पर अपनी और अपने सौहर की हत्या की आशंका जताई थी| प्रिया के ख़त और उसके शव के पास से मिले साक्ष्यों ने पुलिस की मुश्किल बेहद आसान कर दी| जिसके बाद पुलिस ने संजय और उससे जुड़े हुए लोगों के नंबर सर्विलांस पर ले लिए| संजय सर्विलांस पर भी पुलिस को चकमा देता रहा| वह अपने मोबाईल फोन के स्थान पर अपने साले और उसके ड्राइवर उमेश का मोबाइल इस्तेमाल कर रहा था| पुलिस ने उसके रिश्तेदारों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लिए तो फिर राज खुलता चला गया|

दरअसल अपने निकाह पर कानूनी मोहर लगवाने के लिए प्रिया-गुड्डा हाईकोर्ट इलाहाबाद गए थे| जिसका सुराग लगाकर संजय अपने साथियों के साथ वहां पहुँच गया और दोनों को पकड़ लिया| वह दोनों को अपनी मर्जी से शादी करवा देने के बहाने जयपुर लेकर आ गया| यहीं से उसने पूरी शाजिश रची और 26 जनवरी की रात को वह दोनों को काली नदी के पुल पर लेकर आया| जहां अभियुक्तों ने मिलकर दोनों की हत्या कर दी और दोनों की लाश को गायब करने की नियत से नदी में फेंक दिया| अभियुक्तों के बीच हत्या के समय हुए वार्तालाप को सर्विलांस पर सुना गया| फिर तो पुलिस को अभियुक्तों तक पहुंचने में देर ही नहीं लगी मौका देखकर एसओजी ने सभी को उठा लिया| इतना सब कुछ होने के बावजूद भी पुलिस को केवल प्रिया का ही शव मिल सका लेकिन गुड्डा के शव का आज तक पहेली बना हुआ है| अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ईश्वरीय कुमारी शाक्यने बतया की गुड्डा का शव बरामद नहीं हो सका है| न्यायालय ने इसको देखते हुए ही केवल प्रिया वर्मा की हत्या के आधार पर ही अपना फैसला सुनाया है|