कक्षा तीन से आठ तक के पाठ्यक्रम में हो रहा बदलाव –

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School2इलाहाबाद : प्रदेश भर के परिषदीय स्कूलों को कांवेंट स्कूलों के समानांतर खड़े किए जाने की तैयारी है। दोनों स्कूलों में पठन-पाठन का अंतर तो है ही साथ ही अंग्रेजी दोनों माध्यमों के बीच की खाई चौड़ी करती है। ऐसे में अंग्रेजी को और आसान बनाकर पढ़ाई शुरू होनी है। आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान ने इसकी सारी तैयारियां कर ली हैं और औपचारिक प्रस्ताव भी भेज दिया है, अब सिर्फ राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की मुहर लगना शेष है। माना जा रहा है कि आगामी शैक्षिक सत्र से अंग्रेजी का नया पाठ्यक्रम लागू होगा। प्रदेश के प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में अंग्रेजी की पढ़ाई कक्षा तीन से शुरू होती है। यहां कक्षा आठ तक अंग्रेजी की रेनबो यानी इंद्रधनुष नामक पुस्तक पढ़ाई जा रही है। एससीईआरटी ने इसी किताब को और आसान बनाने की जिम्मेदारी आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान इलाहाबाद को सौंपी थी। संस्थान ने पुस्तक में काफी बदलाव किए हैं। मसलन शब्दकोष को काफी बढ़ा दिया गया है, ताकि बच्चों की बुनियाद मजबूत हो सकें। ऐसे ही नवीन एवं कठिन शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं हो रहा था उसे दुरुस्त करने के लिए पर्यायवाची शब्दों को लिखा गया है। यही नहीं जरूरत के मुताबिक स्थानीय शब्दों जैसे ‘लोटा’ एवं ‘डंडा’ का प्रयोग हुआ है, ताकि छात्र-छात्रओं की समझ आसानी से विकसित हो सकें। पुस्तक में पाठ्य वस्तु की उदाहरण सहित व्याख्या की गई है। इससे शिक्षकों को अंग्रेजी पढ़ाने में भी सहूलियत रहेगी और छात्रों को तो आसानी रहेगी ही। शिक्षा विभाग परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन दुरुस्त करने के लिए इस वर्ष माहवार वार्षिक पाठ्यक्रम लागू किया है और निरीक्षण के दौरान शिक्षा विभाग के अफसर अन्य बातों को जांचने के अलावा उनका सारा जोर पठन-पाठन पर ही है। वहीं, आंग्ल भाषा संस्थान ने भी तमाम संशोधन के साथ नया पाठ्यक्रम लागू करने के लिए एससीईआरटी को प्रस्ताव भेज दिया है। शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो आगामी शैक्षिक सत्र से अंग्रेजी के नए पाठ्यक्रम को लागू किया जाएगा। कक्षा तीन से आठ तक के पाठ्यक्रम में हो रहा बदलाव 16 आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान ने एससीईआरटी को भेजा प्रस्ताव‘अब तक के पाठ्यक्रम में रचनात्मक कौशल विकास के लिए क्रिया आधारित पाठ्यवस्तु दी गई थी, लेकिन अब बच्चों में कल्पनाशीलता को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसीलिए अंग्रेजी की पुस्तक में बदलाव किया गया है, जिसे आगे लागू किया जाएगा ’राजेंद्र सिंह, प्राचार्य आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान उप्र इलाहाबाद।

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