फर्रुखाबाद: सरकारी नौकरी में रहकर जो काम सिविल पुलिस कर रही है उसी काम को जीआरपी के दरोगा ने कर दिया| फरक बस इतना था कि दरोगा ने इस बार जनता को नहीं एक आईपीएस अफसर को आइना दिखाया| जिस नियम और कानून की दुहाई देकर सिविल पुलिस आम जनता को मुकदमा लिखने के लिए बेबकूफ बनाती है, जिस चमड़े को सिक्के को चलाकर कोतवाल और थानेदार अपने थाने में अपना राज चलाते है है उसी सिक्के को आज एसपी साहब को चलता देखना पड़ा| फरक बस इतना था कि महकमा बदल गया था| ये रेलवे पुलिस थी जिसने सिविल पुलिस के एक जिला स्तर के अधिकारी को उसकी औकात दिखाने की कोशिश कर डाली|
मामला फतेहगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मर्डर का था जिसमे मौके पर गए एसपी कृपाशंकर के कहने पर जीआरपी के दरोगा कृष्ण पाल सिंह ने ऍफ़आईआर दर्ज नहीं की| बार बार कहने के बाबजूद जी आर पी का दरोगा टस से मस नहीं हुआ| एसपी बोले तुम्हारा (जी आर पी) सी ओ कहा है? दरोगा ने जबाब दिया कि सीओ जीआरपी कासगंज में बैठते है| बेचारे एसपी उसके ऊपर के अधिकारियो को सूचित करने की धमकी भर देकर लौटने पर मजबूर हो गए|
एसपी साहब ये कहते हुए वापस हुए कि वे मामला अपने फतेहगढ़ के थाने में दर्ज कर लेंगे| लेकिन जी आर पी के दरोगा की शिकयता करेंगे| उनके जिले में कप्तान साहब की दरोगा लेवल का अफसर न सुने तो तौहीन की तो बात है ही| लेकिन जो परम्परा सिविल पुलिस ने यूपी में आम आदमी के मुकदमे न लिखने की चला रखी है पालन तो उसी परम्परा का जीआरपी के दरोगा ने कर दिया है| दरोगा ने बाद में बताया कि एसपी साहब जीआरपी थाने में मुकदमा लिखाकर ऊपर भेजे जाने वाले अपने रिकॉर्ड में एक हत्या कम करना चाहते है| वैसे कुछ पुलिस वालो का दबी जुबान से कहना है कि बात पते की भी है जीआरपी के दरोगा की| खबर लिखे जाने तक जीआरपी फतेहगढ़ ने अपने थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया था|
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