फर्रुखाबाद: पुलिस विभाग में राजपत्रित अधिकारियों की टोपी में अब कोई अंतर नहीं रहेगा। अभी तक सिर्फ पुलिस अधीक्षक और उनसे ऊपर के अधिकारियों को ही नीले रंग की बैरिट टोपी पहनने का अधिकार था। अपर पुलिस अधीक्षक और क्षेत्राधिकारी राजपत्रित अधिकारी होने के बावजूद उन्हें खाकी रंग की टोपी ही पहननी पड़ती थी। इसको लेकर उनके मन में कहींन कहीं कुंठा के भाव रहते थे। पीपीएस एसोसिएशन लंबे समय से मांग कर रहा था कि उन्हें भी नीली टोपी पहनने का ही अधिकार दिया जाए।
यूं तो विशेष मौकों पर पुलिस विभाग में उप निरीक्षक से लेकर अन्य आला अधिकारियों को खाकी कलर की पी कैप पहननी पड़ती है, लेकिन रूटीन की ड्यूटी के दौरान बैरट कैप पहननी पड़ती है। पुलिस अधीक्षक से लेकर पुलिस महानिदेशक तक की बैरट टोपी का रंग नीला होता है, जबकि अपर पुलिस अधीक्षक और डिप्टी एसपी राजपत्रित अधिकारियों की श्रेणी आने के बावजूद उन्हें खाकी रंग की कैप पहननी पड़ती थी। इसको लेकर पीपीएस एसोसिएशन ने विरोध जताया था। पुलिस महानिदेशक ने इस संबंध में राय के लिए एक कमेटी बनायी थी। कमेटी की सलाह पर अब पुलिस महानिदेशक ने पुलिस अधीक्षक और डिप्टी एसपी स्तर के पुलिस अधिकारियों को भी नीली टोपी पहनने का अधिकार दे दिया है।पी कैप का रंग पहले से ही एक जैसा था, पुलिस अधीक्षक के पी कैप में आईपीएस का मोनो लगा रहता है।
झांसी और कानपुर में आर्डर से मिलती टोपी
भले ही पुलिस महानिदेशक द्वारा तत्काल प्रभाव अपर पुलिस अधीक्षक और अन्य राजपत्रित अधिकारियों को नीले रंग की टोपी पहनने का आदेश दे दिया गया है, लेकिन चूंकि पुलिस विभाग की वर्दी अन्य जगहों पर नहीं मिलती, इसलिये बदलाव सामने दिखायी देने में कुछ वक्त लग सकता है। नीली टोपी पहनने का अधिकार मिलने से पीपीएस संवर्ग के अधिकारी रोमांचित हैं।
आरपीएफ में सब की टोपी एक जैसी
अलग अलग राज्यों की पुलिस सेवा में वर्दी को असमनताएं हैं। रेलवे सुरक्षा बल में टोपी के मामले में कोई सिपाही से लेकर उच्च अधिकारियों में कोई भिन्नता नहीं है। सभी को नीले रंग की बैरिट कैप लगाने का आदेश है।
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