सिवनी (मध्यप्रदेश): चाहे इसे अंधविश्वास कहें या फिर कुछ और लेकिन यहां एक गांव में रहने वाले मासूम और उसके परिजनों का दावा है कि उसे हर रोज एक सांप काटता है। कमाल की बात यह है कि यह सांप सिर्फ इस मासूम को ही नजर आता है। मासूम को पिछले डेढ़ साल से अपना शिकार बना रहा है। वहीं दूसरी ओर इस मासूम का इलाज कर रहे डॉक्टर राजेन्द्र कुमार का कहना है कि मासूम के शरीर में जो निशान है वह सांप के काटने के नहीं है। इसे कोई बीमारी है, जो मनोविज्ञान से जुड़ा हुआ है।
बहरहाल डॉक्टर का कहना है कि इस केस की तह तक जाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। जिला मुख्यालय से पन्द्रह किलोमीटर दूर स्थित गांव जमुनिया के बारह साल के मासूम रविन्द्र चद्रवंशी का कहना है कि पिछले कई महीनों से उसे एक सर्प रोज डसता है। सर्प के डसने के बाद बच्चे के मुंह से झाग निकलने लगता है और वह बेहोश होकर गिर जाता है । कई बार यह सांप परिजनों को नजर भी आता है । लेकिन अधिकतर समय वह किसी को भी नजर नहीं आता । हां सांप के काटे के निशान और निकलता हुआ खून लोगों को नजर आता है ।
इलाज में खर्च हो गए डेढ़ लाख
रविन्द्र के परिजनों का कहना है कि वह उसका हर जगह इलाज करा चुके हैं। उसके इलाज में लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। लाड़ले की जिंदगी बचाने के लिए हर मंदिर मस्जिद में लेकर जा चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। पिता के पास छोटी सी जमीन है। अब उसका इलाज कराने की हैसियत नहीं बची है। रविन्द्र के भविष्य को लेकर माता-पिता परेशान हैं।
कैसे हुई शुरुआत
मासूम रविन्द्र के पिता कन्हैया चंद्रवंशी का कहना है कि पहली बार जब बच्चा भैंस का दूध दुह रहा था, उस वक्त एक सांप उसे काट कर भाग गया । बच्चा गश खाकर गिर पड़ा। परिजनों ने उसे उठाकर सांप झाड़ने वाले के पास लेकर गए। यहां ओझा ने बताया कि गांव के ही किसी शख्स ने सांप का इस्तेमाल उसे परेशान करने के लिए किया है। परिजनों ने उसकी बात पर भरोसा कर लिया। कहा जाता है कि इसके बाद से उसे आए दिन सांप काट रहा है। सांप के काटने का कोई वक्त निश्चित नहीं है।
स्कूल में भी काटा सांप
सांप कभी भी कहीं भी काट जाता है । कई बार तो स्कूल में भी काट जाता है । रविन्द्र के स्कूल के शिक्षक विष्णु सोनी भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं । उनका कहना है कि एक दिन पढ़ाई करते वक्त जब बधो ने बैग में हाथ डाला तो उसे सांप ने डस लिया । उसकी अंगुली से खून निकलने लगा । जब बैग और क्लास की जांच की गई तो सांप कहीं नजर नही आया । स्कूल के अन्य शिक्षक लता हिरनखेड़े भी इस बात को सही बताती है । उसके स्कूल में आठवी में ही पढ़ने वाली राजकुमारी और ओमप्रकाश का कहना है कि स्कूल में ही कई बार उसके साथ ऐसी घटना हो चुकी है ।
इस मामले में डाक्टरों की राय अलग है। शुक्रवार को रविन्द्र का इलाज करने वाले डाक्टर राजेन्द्र कुमार का कहना है कि बच्चे के शरीर पर जो निशान नजर आ रहे हैं वो सांप के काटने के नहीं है। अब ये कैसे निशान है। क्या रोग है इसकी जानकारी सिर्फ उसके और परिजनों की मेडिकल डिटेल निकालने के बाद ही मिल सकती है। उसका बेहतर इलाज कराया जाना चाहिए। उसके शरीर पर जो निशान हैं वे किसी खरोंच की तरह के हैं ।अब ये निशान कैसे बने इसे जांच के बाद ही बताया जा सकता है । मरीज के केस की हिस्ट्री के बाद ही बताया जा सकता है । वैसे बहुत हद तक यह समस्या मनोविज्ञान से जुड़ी नजर आती है ।