फर्रुखाबाद: एक साल पहले कमालगंज के राजेपुर सराय मेदा गाव में पकडे गए फर्जी मदरसे और स्कूल के प्रकरण ने जिलाधिकारी एनकेएस चौहान को धर्मसंकट में डाल दिया है| फर्जीवाड़े को खोलने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट रिटायर शिक्षक ऐनुल हसन ने सोमवार को जिलाधिकारी को फर्जीवाड़ा करने और सरकारी धन (छात्रवृति) को लूटने के आरोपों की पुष्टि के बाद मामले में दोषियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है| मामले में हुई जांचो में दस्ताबेज, जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक की रिपोर्ट में फर्जी मदरसे के कागजो पर चलते रहने की पुष्टि हो चुकी है| बाबजूद इसके सरकारी धन की वापसी और लुटेरो के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही न होने पर भी ऐनुल हसन ने सवाल उठाया है| ऐनुल हसन ने बताया कि अगर जल्द ही भ्रष्टाचार के मामले सिद्ध हो जाने के बाद भी दोषियों को जेल नहीं भेजा गया तो एक बार फिर से वे ईद के बाद आमरण अनशन करेंगे| अब देखना होगा कि जिलाधिकारी ऐनुल हसन को अनशन पर बैठने का मौका देते है या फिर मदरसा संचालक, जिला विद्यालय निरीक्षक और अल्पसंख्यक अधिकारी को जेल भेजने की तैयारी करते है| क्योंकि जिस प्रकार का मामला सिद्ध हुआ है उसमे ऐसी ही धाराओ में मामला दर्ज कराना पड़ेगा जो गैरजमानती होगा|
क्या है पूरा मामला-
कमालगंज ब्लाक के गाव राजेपुर सराय मेदा में एक मदरसा पैगामे हक़ खोला जाता है| जो कागजो पर कई साल चलता है| आर टी आई से प्राप्त सूचना के अनुसार मदरसा जिस जगह स्थापित दर्शाया जाता है वो जमीन ग्राम समाज की बंजर जमीन होती है| आर टी आई एक्टिविस्ट राजस्व विभाग से जानकारी जुटाता है कि ग्राम समाज की उक्त बंजर जमीन पर क्या है? राजस्व विभाग के एसडीएम और तहसीलदार ये जानकारी देते है कि वो जमीन खाली है| इन दोनों बातो से साबित हो जाता है कि कोई मदरसा संचालित नहीं है केवल कागजो पर मान्यता है| अल्पसंख्यक विभाग द्वारा कई साल तक उक्त फर्जी मदरसे में नामांकित फर्जी बच्चो को बजीफा भी भेजता रहता है|
ऐनुल हसन इस फर्जीवाड़े के खिलाफ जाँच की मांग करते है| कई बार मांग करने के बाद भी तत्कालीन अधिकारियो के कान पर जूं नहीं रेंगती तो ऐनुल हसन आमरण अनशन पर बैठ जाते है| उन्हें मनाने के लिए तमाम कोशिशे होती है मगर ऐनुल हसन अड़ जाते है| बड़े बड़े ईमानदार डीएम के कार्यकाल में ये प्रकरण आगे बढ़ता है| मुथु कुमार स्वामी से लेकर पवन कुमार तक और श्री अब चौहान तक | मगर फर्जीवाड़े करने वाले अंदर नहीं हो पाते है| हाँ डीएम मुथु कुमार स्वामी के समय दो कमेटिया जाँच करती है| एक कमेटी जिला विद्यालय निरीक्षक की और दूसरी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की| जाँच में मदरसा, स्कूल और उसकी मान्यताये फर्जी पायी जाती है| इसके बाद ऐनुल हसन विभागीय जांचो में फर्जीवाड़ा सिद्ध हो जाने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए चक्कर लगाने लगते है|
उधर मदरसा सचालक जो पहले कांग्रेसी नेता थे औ समाजवादी पार्टी के खिलाफ सलमान का दामन थामते थे, फसने के बाद सपाई हो गए| हालाँकि विधायक जमालुद्दीन सिद्दीकी से आंकड़े आज भी छत्तीस के है| अन्य सपा नेताओ से लेकर विधायक के चक्कर लगाने लगे| पिछले माह जिलाधिकारी पवन कुमार के आदेश के बाद अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने कमालगंज थाने में मदरसा संचालको के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने के लिए पत्र लिखा था| जो कमालगंज थाने की किसी फाइल में दफ़न हो गया| इसके बाद कमालगंज थाने में थानेदार बदल गया| अब ऐनुल हसन एक बार फिर से सक्रिय हो गए है| मामला भ्रष्टाचार का है| मान्यता देने से लेकर वजीफा निर्गत करने में लिप्त रहे खंड शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी से लेकर मदरसा संचालक तक फस रहे है| समस्या बड़ी विकट है डीएम के सामने भी, अपने अधिकारियो को बचाये या जनता में अपना विश्वास बचाये? आर टी आई एक्टिविस्ट ने मुद्दा गर्म करके संकट में तो डाल ही दिया है|
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