नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा की एक कमेटी ने बलात्कार के बढ़ते मामलों के लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार ठहराया है। इस कमेटी ने सरकार से कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में मोबाइल फोन पर पाबंदी लगाने की मांग की है।
कमेटी ने कहा है कि स्कूल और कॉलेजों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। इस कमेटी का ये भी दावा है कि बलात्कार के साथ ही छेड़खानी के बढ़ते मामलों के लिए भी मोबाइल फोन ही जिम्मेदार है। इस कमेटी के चेयरपर्सन विधायक शकुंतला शेट्टी हैं। शेट्टी की माने तो युवाओं को तब तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए जब तक कि वो मैच्योर न हो जाएं।
कर्नाटक विधानपरिषद की कमेटी की रिपोर्ट पर बहुत तेजी से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कर्नाटक सरकार में प्राथमिक शिक्षा मंत्री किम्माने रत्नाकर ने कमेटी की सिफारिश से असहमति जताई है। रत्नाकर के मुताबिक सरकार इस कमेटी की रिपोर्ट पर अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। इस मसले पर अभी विचार-विमर्श और बहस जारी है। रत्नाकर ने कहा कि वो कमेटी की इस रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं कि कॉलेजों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के सिद्धरमैय्या ने खुद को इस रिपोर्ट से अनजान बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी है। हम पहले से प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। यह बच्चों के व्यवहार को प्रभावित करता है ऐसा मुझे नहीं लगता है।
इस बीच केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने भी कहा है कि स्कूलों में खासकर प्राथमिक स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। एक और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस तरह की किसी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कर्नाटक विधानपरिषद की कमेटी की सिफारिश को बेतुका करार दिया है। मनीष तिवारी ने कहा कि ये बहुत ही वाह्यात प्रस्ताव है। टेलीकॉम क्रांति के कारण देश में काफी उन्नति हुई है। कमजोर लोग भी अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं। इससे लोगों को मजबूती मिली है। देश की आर्थिक तरक्की भी हुई है।
बीजेपी नेता नलिन कोहली ने इस रिपोर्ट पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। कोहली के मुताबिक उनकी सरकार महिला सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर है।