फर्रुखाबाद जनपद के नगरीय क्षेत्र में मिड डे मील की व्यवस्था में जिन जिन एनजीओ को लगाया गया था वे सब बजाय बच्चो को मेनू के आधार पर बढ़िया पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अपनी और अधिकारिओं की जेबे गरम कर रहे थे| ये खुलासा लखनऊ से निरीक्षण करने आये उप निदेशक मध्याह भोजन प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में किया था| मगर लगातार एनजीओ के फर्जीवाड़े पर पर्दा कोई “सोने का कंगन” डाल रहा था ये बात पता चलते ही मैं खुद सन्न रह गया|
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यकीन नहीं होता इस बात पर मगर जब हाथ में मोटा कड़ानुमा कंगन देखने के लिए तस्वीरे खंगाल डाली तो सोचने पर मजबूर हो गया| एक नहीं अनेको तस्वीरों में हाथ में मोटा करीब 1 लाख की कीमत का कंगन| बात भ्रष्टाचार के तौर तरीकों की है| नौनिहालों के मुह में कैसे पहुचेगा निबाला| लाख मीडिया सर मार ले| गाँव गाँव की खबर छाप ले मगर घूसखोर मोटी चमड़ी के बेशर्म अफसर इसे अपनी तारीफ में कसीदे जैसा समझते है| वैसे भी धनवर्षा सभी को अच्छी लगती है और ऊपर से लक्ष्मी मेहरबान हो जाये तो इस भौतिकवादी युग में किले जीतना जैसा ही लगता है|
लाखो रुपये की कमाई तो दौराने चुनाव बिना मिड डे मील बनाये ही एनजीओ और बाबु अधिकारी कर गए| वर्ना खाना बना नहीं और मिड डे मील का राशन खर्च हो गया| कन्वर्जन कास्ट ग्राम सभा में भले ही न पहुची हो मगर एनजीओ को मिल गयी|
मामला सुर्ख़ियों में आया तो जिले के कई अन्य अधिकारिओ की भी बाछे खिल गयी| फिर से एनजीओ चयन का विज्ञापन नगर में कम प्रसार वाले अख़बार में छपवा दिया| विज्ञापन छपने की तारीख और आवेदन लेने की अंतिम तारीख के बीच केवल 9 दिन दिए उसमे भी 4 छुट्टी थी| नौनिहालों को शिक्षा देने वाले बेसिक शिक्षा विभाग ने आवेदन की अंतिम तिथि 25 दिसम्बर दी| आवेदन केवल डाक से मांगे गए| डाक विभाग सहित पूरे देश में अंग्रेजो के ज़माने से 25 दिसम्बर को छुट्टी होती है| और छुट्टी वाले दिन आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख देना सुनियोजित तरीके से योजना में एनजीओ के चयन में भ्रष्टाचार की बुनियाद रख रहा था|
चर्चा है की नए एनजीओ के चयन में प्रति स्कूल 50 हजार का रेट खुला है| पुरानी एनजीओ जिन पर प्राधिकरण ने भ्रष्टाचार की मुहर लगायी थी वे भी नाम पता बदल कर घुसने की फ़िराक में है| ऑफिस का एक बाबु अपने भाई को मिड डे मील का खाना बनाने के काम में लगाने के लिए एडी छोटी का जोर लगा रहा है| कैसे बनेगा मीनू वाला साफ़ सुथरा बिना भ्रष्टाचार का मिड डे मील भगवान ही मालिक|
वैस नगर में चर्चा है कि वर्तमान डीएम इमानदार है और उन तक अगर बात पहुच गयी तो घूसखोरो और मिड डे मील के चोरो और दलालों की नहीं चलेगी| आम जनता क्या सोचती है अपनी राय जरुर दे| जनहित में नौनिहालों के निवाले का मामला जो है|