उत्तर प्रदेश, असम और कर्णाटक के राज्यपाल का इस्तीफा, और भी महामहिम छोड़ सकते हैं पद

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BL JOSHIडेस्क: तीन राज्‍यों के राज्‍यपालों ने मंगलवार को अपना इस्‍तीफा राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी को सौंप दिया. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, कर्नाटक के राज्‍यपाल हंसराज भराद्वाज और असम के राज्‍यपाल जेबी पटनायक ने अपना इस्‍तीफा राष्‍ट्रपति को सौप दिया है. गृह मंत्रालय के जुड़े सूत्रों से यह खबर दी है. बताया जा रहा है कि कई और राज्‍यपाल भी इस्तीफा दे सकते हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तीन राज्‍यों के राज्‍यपाल राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी से थोड़ी देर में मुलाकात करेंगे. इससे पहले खबर आई थी कि केंद्र की मोदी सरकार ने कांग्रेस के समय नियुक्त किए गए लगभग आधा दर्जन राज्यपालों को अपने पद से हटने के लिए कहा था. माना जा रहा है कि बीएल जोशी ने इसी के तहत इस्तीफा दिया है. 31 तारीख को सात राज्यपालों का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

शीला ने किया इस्तीफा देने से इनकार?
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एक महिला राज्यपाल ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है. अंदाजा है कि वह महिला राज्यपाल और कोई नहीं केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित ही हैं.

अखबार ने लिखा है कि केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने छह राज्यपालों से बात करके उन्हें नई सरकार की मंशा बताई. उनसे कहा गया कि वे अपने इस्तीफे भेज दें. ये हैं बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित, राजस्थान की राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा, गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल, महाराष्ट्र के राज्यपाल शंकरनारायणन और त्रिपुरा के देवेन्द्र कुंवर.

क्या कोर्ट जाएगा मामला?
नई सरकार के इस कदम से यूपीए और एनडीए में तकरार के आसार पैदा हो गए हैं और यह मामला अंततः सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है. बताया जाता है कि शीला दीक्षित ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि नई सरकार यह लिखकर आदेश दे तभी वह पद छोड़ेंगी.

एनडीए सरकार भी यूपीए की तरह कदम बढ़ा रही है. यूपीए ने 2004 में सत्ता में आने के बाद बीजेपी द्वारा नियुक्त चार राज्यपालों की छुट्टी कर दी थी. इनमें यूपी और गुजरात के राज्यपाल भी थे.उस फैसले से बीजेपी और एनडीए में ठन गई थी. बीजेपी के एमपी बीपी सिंघल तो इस मुद्दे पर अदालत चले गए थे.

केंद्र के कर्मचारी नहीं हैं राज्यपाल: कोर्ट
अदालत ने 2010 में अपने आदेश में कहा था कि राज्यपाल केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं हैं और उन्हें विश्वास खत्म होने के नाम पर हटाया नहीं जा सकता. लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ऐसे राज्यपालों को हटाने के लिए कारण बताते हुए राष्ट्रपति को लिखे जो अपनी इच्छा से उन्हें रखें या हटाएं.

अखबार ने लिखा है कि सरकार इन राज्यपालों को हटाने पर आमादा है और इसके लिए कैबिनेट अपनी अनुशंसा दे सकती है. वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बाधा के रूप में नहीं देख रही है. एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें हटाने के लिए हमारे पास पर्याप्त कारण हैं|

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