मुकेश राजपूत बने लोकसभा के विधिवत सदस्य, 1.55 लाख प्रतिमाह के अलावा जानिए और क्या क्या मिलेगा

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Mukesh Rajput MPफर्रुखाबाद: दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के निचले सदन के सदस्य के तौर पर फर्रुखाबाद लोकसभा से चुनकर गए जनता के प्रतिनिधि के तौर पर मुकेश राजपूत ने सविधान के प्रति सत्य निष्ठां की शपथ ली| और इसी के साथ मुकेश राजपूत पंद्रहवी लोकसभा के सदस्य हो गए| कुछ बारीकियां लोकतंत्र की| जनता द्वारा बहुमत से चुनने के बाद जिला चुनाव अधिकारी जो प्रमाण पत्र देता है वो अमुक लोकसभा से जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि का होता है| सांसद शपथ लेने के बाद बनता है|

भारतीय लोकतंत्र में संसद के दो सदन होते है| उच्च सदन राज्यसभा कहा जाता है जहाँ के सदस्य जनता के चुने हुए प्रतिनिधि चुन कर भेजते है| और निचले सदन में जनता सीधे प्रतिनिधि को चुन कर भेजती है| सरकार कोई भी बिल पास करने के लिए पहले निचले सदन में पास कराती है और उसके बाद उसे उच्च सदन राज्यसभा में पास करना होता है| इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मुहर लगाने के लिए भेजा जाता है| लोकसभा में भाजपा बहुमत में है हर बिल या प्रस्ताव के लिए विपक्ष का मुह नहीं ताकना पड़ेगा मगर उस बिल या प्रस्ताव को उच्च सदन मे पास कराने के लिए राज्यसभा में बहुमत जुटाना पड़ेगा| जिसे परिस्थिति वश बसपा और सपा सपोर्ट करेंगी| दोनों पार्टियों के मुखिया की गर्दन सीबीआई के शिकंजे में है आय से अधिक सम्पत्ति जुटाने के मामले में| वैसे जयललिता भी एनडीए के साथ आकर दोनों सदनों में बहुमत का साथ देगी ऐसा लग रहा है|

सांसद के तौर पर मुकेश राजपूत को जानिए क्या क्या मिलेगा-

* लोकसभा के सांसद कार्यकाल के दौरान 50 हजार रुपए का वेतन।

* अगर सांसद संसद भवन में रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं तो उन्हें 2000 रुपए हर रोज का भत्ता मिलता है।

* एक सांसद अपने क्षेत्र में कार्य कराने के लिए 45000 रुपए प्रतिमाह भत्ता पाने का हकदार होता है।

* कार्यालयीन खर्चों के लिए एक सांसद को 45000 रुपए प्रतिमाह मिलता है। इसमें से वह 15 हजार रुपए स्टेशनरी और पोस्ट आइटम्स पर खर्च कर सकता है। इसके अलावा अपने सहायक रखने पर सांसद 30 हजार रुपए खर्च कर सकता है।

* मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट स्कीम के तहत सांसद अपने क्षेत्र में 5 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च करने की सिफारिश कर सकता है।

* सांसदों को हर तीन महीने में 50 हजार रुपए यानी करीब 600 रुपए रोज घर के पर्दे और अन्य कपड़े धुलवाने के लिए मिलते हैं।

* हवाई यात्रा का 25 प्रतिशत ही देना पड़ता है। इस छूट के साथ एक सांसद सालभर में 34 हवाई यात्राएं कर सकता है। यह सुविधा सांसद के पति/पत्नी दोनों के लिए है।

* ट्रेन में सांसद फर्स्ट क्लास एसी में अहस्तांतरणीय टिकट पर यात्रा कर सकता है। उन्हें एक विशेष पास दिया जाता है।

* एक सांसद को सड़क मार्ग से यात्रा करने पर 16 रुपए ‍प्रतिकिलोमीटर के हिसाब से यात्रा भत्ता मिलता है।

राजधानी में आवास का खर्च कतई नहीं, ऊपर से हर साल चार हजार किलो लीटर पानी और पचास हजार यूनिट तक बिजली मुफ्त। हर तीन महीने में पर्दे व सोफा कवर धुलाने का खर्च, फर्नीचर के लिए 75 हजार रुपए, बिना किसी शुल्क के तीन टेलीफोन लाइन और हर फोन पर साल की पचास हजार काल मुफ्त। हर सांसद एमटीएनएन का एक और एमटीएनएल, बीएसएनएल या निजी मोबाइल आपरेटर का एक और मोबाइल रख सकता है। ब्रांड बैंड सुविधा लेने पर पंद्रह सौ रुपए तक की मासिक सुविधा अलग है।
पूर्व सांसदों के लिए भी सुविधाओं की कमी नहीं है। लोकसभा या राज्य सभा का कोई भी सांसद भले ही कितने समय सांसद रहा हो, बीस हजार रुपए मासिक पेंशन का हकदार है। सांसद का कार्यकाल पांच साल से ज्यादा का रहा हो तो उसे डेढ़ हजार रुपए मासिक ज्यादा मिलते हैं। पूर्व सांसद अगर अकेले यात्रा करने की स्थिति में हैं तो उन्हें एसी फर्स्ट क्लास में और नहीं तो सहयोगी के साथ एसी-टू टियर में रेल सफर करने की सुविधा मिलती है। सांसद का निधन होने पर उसकी पत्नी या पत्नी को आधी पेंशन और फैमिली पेंशन की सुविधा दी जाती है।
सांसदों के वेतन और भत्ते का निर्धारण ‘सेलरीज एंड अलाउंसेस आफ मिनिस्टर्स एक्ट’, 1952 के तहत किया जाता है। 61 साल से सांसद 35 बार अपने भत्ते व वेतन बढ़वा चुके हैं। 1952 के कानून में 28 बार संशोधन हुआ है। कैबिनेट सांसदों को मिलने वाले वेतन व भत्तों में संशोधन के लिए प्रस्ताव लाती है और संसद उसे पास कर कानून का रूप दे देती है। ऐसे संशोधनों पर बहस नहीं होती। आम तौर पर इन्हें ध्वनिमत से पास कर दिया जाता है। 1954 से 2000 के बीच सांसदों के मूल वेतन में 167 फीसद का इजाफा हुआ जबकि 2000 से 2010 के बीच इसमें 1150 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई।

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