फर्रुखाबाद: गरीब का झोपड़ा तो हवाए भी उजाड़ देती है कभी रईसो के महलो पर निगाह उठा कर तो देखो…किसी कवि की ये पंक्तिया बरबस ही तब याद आती है जब आवास विकास कॉलोनी में प्रवेश करता है| चंद रोज पहले की ही तो बात है जब डीएम ने लोहिया अस्पताल के पहले ही दौरे में सड़क के दोनों ओर सड़क अतिक्रमण किये गरीब ठिलिया वाले फल विक्रेता, चाय समोसे वाले, पंचर वाले, खोखे में नाइ की दूकान वालो को देखा तो अतिक्रमण हटाने के लिए नगर मजिस्ट्रेट और नगरपालिका के अफसरों को मशीनो के साथ भेज दिया| कुछ ही घंटो में बेरोजगार की हटी भीड़ से आवास विकास में रोशनी दिखाई पड़ने लगी| मगर जो लोग आलीशान भवनो के साथ सड़के कब्ज़ा किये हुए है उनके अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिए गए| नोटिस की तय मियाद ख़त्म होने के बाबजूद न तो कब्जे हटे और न ही कोई उनकी सुध लेने आया| अब तो लोग कहने लगे है कि “जबरा मारे और रोने भी न दे”| क्या यही न्याय है?
आवास विकास में गत शनिवार को चौबीस घंटे की मोहलत अतिक्रमण हटाने के लिए 5 अतिक्रमणकारियों को दिए गए थे| इसमें तिराहे पर स्थित स्वागतम गेस्ट हाउस, पूर्व विधायक का सड़क पर बना बगीचा, डॉ भल्ला का सड़क पर रखा जरनेटर, डॉ जे एम वर्मा के बाहर नाले पर अतिक्रमण और एक दूकान के बाहर सड़क पर पक्के खम्भे बनाकर बनायीं गयी बिल्डिंग| इन सभी पर नगरपालिका के सहायक अभियंता अमित शर्मा अतिक्रमण हटाने की जगह का चिन्हांकन भी कर गए| नोटिस की मियाद सोमवार की शाम को ख़त्म हो गयी| मंगलवार को तहसील दिवस में अधिकारियो की व्यस्तता के कारण अतिक्रमण हटाने का दस्ता नहीं आ सका| बुधवार को लोग आवास विकास में इन्तजार करते रहे कि कुछ होगा मगर कुछ नहीं हुआ| न तो नोटिस मिलने वालो ने अतिक्रमण हटाया और न ही कोई उन्हें हटाने आया| अब जनता कह रही है यही फरक है अमीरी और गरीबी में| झोपड़ा और खोखा तो गरीब का था जमींदार की हनक और आवाज में ही ढह गया किसी अवैध जागीरदार को बेघर करके तो देखो तो समझे लोकतंत्र आया है| देखे तस्वीरो में बुधवार की शाम तक प्रशासन को कैसे मुह चिड़ा रहे है अतिक्रमणकारी-