फर्रुखाबाद: जलहीन जलाशय, व्याकुल हैं पशु पक्षी प्रचंड है भानु कला, किसी कानन कुंज के धाम में प्यारे करैं तो चलो विश्राम भला। कवि देव की यह पंक्तियां जेठ की जलती गर्मी का बयान करती हैं। किंतु अब ऐसे कानन कुंज तो रहे नहीं जिनकी शीतल छाया जेठ के दारुण आतप से निजात दिला सके और बिजली वह तो जिले के बाशिंदों की दुश्मन ही हो गई है, जोकि आती ही नहीं है।
शनिवार को आसमान पर जेठ के जलते सूरज ने आग ही उगली। सुबह मद्धिम रहीं सूर्य की किरणें दोपहर तक आग की लपटों के मानिंद लपलपाने लगीं थीं। पारा 44 डिग्री के आंकड़े को पार कर गया। इंसान तथा पशु, पक्षी सभी व्याकुल हो उठे। सब छांव की तलाश में रहे कि जहां दो पल सुकून के मिल जाएं, पर उबलती गर्मी में न घर में चैन और ना ही बाहर राहत। बिजली की कटौती घरों में हैरान करती तो बाहर कहर ढाती धूप और थप्पड़ सी मारती गरम हवा हलाकान कर रही थी। गर्मी के कारण बीमारियां भी परेशान कर रहीं हैं। सबसे अधिक डायरिया पीड़ित कर रहा है। जिसके मरीजों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है। वहीं सड़कों पर भी भीषण गर्मी के कारण दोपहर के वक्त सन्नाटा छा जाता है।
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