फर्रुखाबाद: मतदान शांतिपूर्वक निपटाने के बाद नेताओ के लिए अपनी अपनी जीत का दावा और समीक्षा का दौर शुरू हो जाता है जबकि मतदान कर्मियों और चुनाव निपटाने में लगी सरकारी मशीनरी का काम ख़त्म नहीं होता| दूर दराज ग्रामीण अंचलो से ईवीएम मुख्यालय तक लेकर जमा करने में जो पसीना छूटता है उसका दर्द तो मतदान कर्मी ही जानता है|
सातनपुर मंडी में बने स्ट्रांग रूम में मशीनो को जमा करने का काम देर रात तक चलता रहा| मशीन जमा करने से पहले वोटरो के हिसाब किताब का बही खाता भी जमा करना होता है| उसे मिलाने में भी माथापच्ची करनी पड़ती है| ई वी एम रखने के लिए चार अलग अलग विधासभा वार ब्लाक है| इसमें मशीनो को रखने के लिए जमीन पर मशीन का नंबर लिखा गया है| बिलकुल सही नंबर पर मशीन रखी जानी है|
उसके बाद गोदाम का शटर बंद कर उसे प्रेक्षक के सामने सील किया जायेगा और चाबियाँ कोषागार में जमा हो जाएँगी| स्ट्रांग रूम की कड़ी निगरानी चौबीस घंटे होगी इसके लिए केंद्रीय सुरक्षा बल लगा हुआ है| इसके साथ साथ सीसीटीवी कैमरों की जद में सभी ब्लाक चारो तरफ से आ जायेंगे| ये कैमरे लगातार 16 मई तक पूरे परिसर को कैद करते रहेंगे| और 16 मई को चुनावी जंग में लड़ रहे प्रत्याशियों के सामने इन्हे खोला जायेगा| फिर गिनती और एक की जीत और बाकी सब हार का हार बिना पहले मतगणना पंडाल से ऐसे गायब हो जायेंगे जैसे वे कभी थे ही नहीं|
स्ट्रांग रूम को एक निश्चित दूरी से देखने और निगरानी करने के लिए प्रत्याशी अपने इलेक्शन एजेंट या अधिकृत प्रतिनिधि को चुनाव आयोग से अनुमति के बाद तैनात कर सकता है| किसी जमाने में बैलट बॉक्स पर निगरानी के लिए ऐसा होता था मगर अब लोग इस उबाऊ काम से बचे रहते है|