मतदान से पहले सोचिये- किसे वोट दे रहे है और क्यों?

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Editorफर्रुखाबाद: वैसे तो लोकसभा चुनाव में कल गुरूवार को होने वाली वोटिंग के लिए ज्यादातर मतदाता अपना मन बना चुके होंगे| फिर भी एक बड़ा तबका जो सोच समझ कर वोट करता है वो बटन दबाने से पहले तक सोचता है कि वो वोट किसे दे और क्यों? चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है| नेताओ ने मतदाताओ को समझाने के कई तरीके अपनाये है| धमकी से लेकर शराब और नोटों का लालच भी हुआ है| कुछ मनाये गए है और कुछ रिश्तेदार भेज कर दबाये गए है| हुआ सब कुछ है| वादा भी सभी को किया है मगर एक अदद कीमती वोट किसे दे और किसे दिया ये गोपनीय है और इसे गोपनीय रखना भी सबसे जरुरी है|

फर्रुखाबाद की परम्परा रही है कि यहाँ का मतदाता बहुत ही सोच समझ कर वोट करता है| चुनाव से ‘चालू’ प्रत्याशियों ने लोकल मुद्दे गायब कर दिए| ज्यादातर ने अपने आकाओं के नाम पर वोट मांगे| अन्ना हजारे का आन्दोलन और भ्रष्टाचार का मुद्दा चतुर चालक नेताओ ने किनारे लगा दिया| तेरी जात, मेरी जात और नहीं तो “उनको देखो” यही चलते रहे नेता| हर कोई अपना प्रधामंत्री बना रहा था और उसके नाम पर वोट मांग रहा था|

लोकतंत्र की दहलीज पर एक बार फिर से नया कदम बढ़ाने की बारी है| हेलीकाप्टर दौडाए गए| करोडो फूके गए| फ़िल्मी तारिकाए लायी गयी| और अंत में शराब का दौर| कितना घटिया चुनाव हुआ एक बार फिर से| प्रधानो और कोटेदार धमकाए गए वोट डलवाने के लिए, भीड़ जुटाने के लिए| फिर नोट भी बटे| बिना किसी मसौदे के चुनाव लड़ने वाले नेता इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते|

आज ख़ामोशी है| किसी तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी| कुछ नशे में धुत्त है वे मेरे पाठक नहीं है| लाख कोशिशो के बाबजूद कुछ बीएलओ अलग अलग नेताओ के प्रति समर्पित हो गए और गाव से गरमा गरम खाना बनवाकर पोलिंग पार्टियों को खिलाया| ये प्रधानो की मिलि भगत वाला खेल है| मगर वोट तो जनता को दबाना है|

स्थानीय मुद्दों को भी वोट देने से पहले ध्यान करे| गुंडई, अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट की चोट से जबाब दे| वोट जरुर डालने मतदान केंद्र तक जाए|