कोई राजा बने, रंक को तो रोना है- अटल बिहारी बाजपेयी

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Atal Bihari bajpeyi 25 दिसंबर 1926 को ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी बाजपेयी भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री रह चुके है| राजनैतिक जीवन में नैतिकता की महानता में उनका आज भी कोई सानी नहीं है| एक ऐसा नेता जिसने मर्यादा की सीमा रेखा में रहकर राजनीति की| फर्रुखाबाद से अटल बिहारी बाजपेयी का विशेष लगाव रहा| यहाँ उनके प्रिय “स्व ब्रह्मदत्त द्विवेदी जो रहते थे”| अटल बिहारी बाजपेयी आखिरी बार ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद यहाँ आये थे और बद्री विशाल डिग्री कॉलेज में अत्यंत मार्मिक भाषण दिया था| उनके शब्द थे- “मौत स्वाभाविक होनी चाहिए| ऐसा नहीं होना चाहिए कि बड़ा भाई बैठा रहे और छोटा चला जाए”| फर्रुखाबाद की राजनीति जब जब होगी ब्रह्मदत्त और अटल बिहारी बाजपेयी के संबंधो की चर्चा को नाकारा नहीं जा सकेगा| सत्ता की जंग में पेश है उनकी कुछ रचनाये, अच्छी लगे तो जीवन में अपनाए-

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है|

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