मुकेश के नामांकन और कल्याण सिंह की सभा से अब मुन्नू बाबू नदारद

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Mukesh Rajput bjpफर्रुखाबाद: भाजपाइयो का मानना है कि मोदी की लहर है मगर लहर वोटो में तब्दील हो पायेगी इस पर मुहर नहीं लगाते| भाजपा का बिखरता कुनवा मुकेश के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं| मुकेश राजपूत की टिकट की घोषणा के बाद कई नाराज हो गए जिनको नहीं मिली| अब कल्याण सिंह इसकी सफाई में कह ही गए कि उन्हें टिकट नहीं मिली तो क्या रोये! अब कल्याण सिंह ने तो अपने पुत्र राजवीर को अपनी गद्दी सौप दी है मगर सुशील शाक्य, मुन्नू बाबू, राजेश्वर सिंह, डॉ रजनी सरीन और मिथलेश अग्रवाल के साथ कल्याण सिंह जैसी स्थिति नहीं हुई| सुशील शाक्य के बाद मुन्नू बाबु भी कल्याण सिंह की सभा और मुकेश के नामांकन में नहीं पहुचे|

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सबसे पहले सुशील शाक्य बिफर गए, समर्थक उखड गए और कहे की हत्थे से उखड गए| एलान कर दिया कि भाजपा की फर्रुखाबाद और एटा दोनों सीटे हरानी है| 6 बार भाजपा की टिकेट पर सांसद बने महादीपक शाक्य तो साइकिल के साथ चले गए| लगे रामेश्वर यादव को चुनाव लड़ाने| यानि कि दुश्मन हार जाए तो दाग अच्छे है| जाहिर है अब दुश्मन भाजपा को ही मान लिया है| सुशील शाक्य ने पार्टी नहीं छोड़ी मगर प्रदेश भ्रमण पर निकल गए| लखनऊ, आजमगढ़ और कल सहारनपुर में थे| फोन पर बताया कि जहाँ जहाँ भाजपा जीतती दिखाई पड़ेगी वहां जीत का अंतर बढ़ाने के लिए जा रहे है| मान लिया कि अभी तक फर्रुखाबाद में भाजपा एक नंबर की दौड़ में नहीं है| और अब मुन्नू बाबू का किनारा कर लेना| बसपा के ठाकुर प्रत्याशी के लिए रास्ता साफ़ है| पहले मुकेश के सिपहसालारो ने भोजपुर विधानसभा का प्रभारी मुन्नू बाबू के पुत्र सौरभ को बनबाया और फिर शैलेन्द्र सिंह राठौर को सह संयोजक बनाकर सुगलती लौ में घी डाल दिया| दोनों एक साथ नहीं बैठते, एक साथ नहीं दिखते| और अब मुन्नू बाबू का नामांकन और कल्याण सिंह की सभा में न पहुचना बड़ा सन्देश दे गया| नामांकन के दौरान ठाकुर नेता के नाम पर आर के सिंह जो शायद वोट बटोरने के लिए नाकाफी हो, उनके साथ रहे|

मुन्नू बाबू इलाके में ठाकुरो के कद्दावर नेता है| कई बार सांसद रहे है| उनका पुत्र भाजपा की टिकट पर भोजपुर विधानसभा चुनाव लड़ चुका है| ऐसे में मैदान से हट जाने से बसपा के ठाकुर प्रत्याशी जयवीर सिंह भदोरिया के लिए ठाकुरो में मैदान कर देने जैसी स्थिति हो चली है|

अब भाजपा के दो और परम्परागत वोट ब्राह्मण और कुर्मी की बात| समर्थक, कार्यकर्ता और शुभचिंतक अपने स्थानीय जातीय नेता को देखता है किसी लहर को नहीं ये कडुआ सच है| कुर्मी वोटो के इलाके के कद्दावर नेता पूर्व विधायक कुलदीप गंगवार को भाजपा में लाने की घोषणा और उसके बाद अघोषित ब्रेक एक नया कारनामा दिखाई पड़ रहा है| बात किसने आगे बढ़ा कर मुकेश को मजबूत करने की कोशिश की और उसके बाद उन्हें न लेने की सलाह किसने दी ये बात किसी न किसी दिन खुल कर आ जायेगी| मगर अगर कुलदीप अब भाजपा में नहीं आये तो कायमगंज क्षेत्र में एक और नुकसान की आशंका बनेगी| पहले शाक्य, फिर ठाकुर और अब …..| और अंत में चुनाव की नैया पार लगाने वाला ब्राह्मण मतदाता जो अब तक खामोश है| वो मोदी मोदी तो कर रहा है मगर जोश नहीं दिखा रहा है| मेजर के शुभचिंतक गणित बता रहे है| इतिहास खोद रहे है| अगर पिछले चुनाव में लोधियों का वोट मेजर को मिला होता तो सदर में विधायक भाजपा का होता| कल्याण सिंह और मुकेश द्वारा मोहन अग्रवाल को लड़ाया गया था| नगर में मोहन को भले ही चंद वोट मिले हो मगर उन्हें मिले कुल वोटो में अनुमानतः लगभग 15000 वोट लोधी समाज का था जो कल्याण सिंह और मुकेश की बदौलत मोहन को मिला था| मगर मेजर तो कुल कुछ सौ वोटो से हार गए थे| बिना भाजपा में आये मोहन अग्रवाल अब पूरे मन से एहसान चुका रहे है| ये वोट तंत्र का खेल है| अभी तो नामांकन शुरू हुआ है| राजनीति की हवा तो एक रात में बदल जाती है| दुश्मन दोस्त बन जाते है और दोस्त दुश्मन| तीन सप्ताह बाद जब तक बटन दबेगा बहुत कुछ बदल सकता है| मोदी की लहर सुनामी में भी बदल सकती है……मगर भौगोलिक विज्ञानं के प्रोफ़ेसर खन्ना कहते है की सुनामी से हमेशा उजाड़ होता है बसावट और विकास नहीं|