नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सहारा समूह को करारा झटका देते हुए उसका नया प्रस्ताव खारिज कर दिया है। प्रस्ताव खारिज होने के बाद सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को अब अगली सुनवाई 11 मार्च तक जेल में ही रहना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने निवेशकों को पैसा लौटाने के मामले में 11 मार्च को सुनवाई की तारीख तय की थी, परंतु उसने सहारा समूह को यह भी छूट दी थी कि वे बीच में भी अपना प्रस्ताव उसके समक्ष रख सकते हैं।
सहारा समूह ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तीन दिन के भीतर निवेशकों का 2500 करोड़ रुपये और बाकी भुगतान जुलाई 2015 तक किस्त के रूप में हर तीन माह के अंतराल पर करने का प्रस्ताव रखा था। सर्वोच्च न्यायालय ने जिसे सेबी की आपत्ति जताने के बाद खारिज कर दिया।
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सेबी ने सहारा समूह के प्रस्ताव का विरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि कंपनी पर 37 हजार करोड़ की देनदारी है और वह मात्र 17 हजार करोड़ का भुगतान करने का प्रस्ताव दे रही है।
सहारा के इस प्रस्ताव के बाद सर्वोच्च न्यायालय सुब्रत रॉय पर सुनवाई के लिए विशेष खंडपीठ बनाने पर भी राजी हो गया था, परंतु सेबी के तर्क सुनने के बाद इसे खारिज कर दिया। साथ सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि ऐसा प्रस्ताव अदालत का अपमान है। ऐसे व्यक्ति के लिए जो पैसा वापस नहीं करने की इच्छा रखता हो उसके लिए एकत्र होना अपमान की बात है।
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इससे पहले सहारा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि सुब्रत राय और अन्य दो निदेशकों को पुलिस हिरासत में भेजा जाए क्योंकि न्यायिक हिरासत में उन तक पहुंचने में दिक्कत आ रही है।
गौरतलब है कि सहारा प्रमुख और उनके दो निदेशकों को सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों तिहाड़ जेल भेज दिया था। सहारा प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारंट के बाद लखनऊ की सहारा सिटी से गिरफ्तार कर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था।