फर्रुखाबाद: चुनावी जंग में वोटरो को लुभाने के लिए की जा रही लच्छेदार बातो में सपा के नेता खुद ही उलझते नजर आ रहे है| कमालगंज में सपा प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव और सपा विधायक जमालुद्दीन सिद्दीकी के बयान के बाद सियासी भूचाल हो सकता है| दोनों ने ही जनसभा में कहा कि 2009 के चुनाव में सपा प्रत्याशी को हरवाने और कांग्रेस प्रत्याशी सलमान खुर्शीद को जीतने में मदद की थी| दोनों नेताओ के बयान के बाद उस समय के सपा प्रत्याशी रहे चंद्रभूषण सिंह उर्फ़ मुन्नू बाबू ने यह कहते हुए दोनों को आड़े हाथो लिया है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने की जगह कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सलमान खुर्शीद को जिताने में मदद करके इन लोगो ने तो नेताजी का ही नुकसान सबसे ज्यादा किया था| मुलायम सिंह यादव के हाथो को कमजोर करके समाजवादी पार्टी के नेता क्या साबित करना चाहते है| ऐसे नेताओ की विश्वसनीयता कितनी रहेगी और होनी चाहिए ये जनता को फैसला करना है|
जमालुद्दीन सिद्दीकी के लिए तो मुन्नू बाबू ने यह तक कह दिया कि वे चुनौती देते है कि वे सपा प्रत्याशी को अपनी विधानसभा से अपनी बिरादरी के 10 वोट भी नहीं दिलवा सकते| सपा नेताओ का जमीर कैसा है जो अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराते है| अपने ही नेता की पोजीशन कमजोर करते है| मुन्नू बाबू ने कहा कि उन्होंने कभी भी एक जात की राजनीती नहीं की| वे तो हमेशा ही सर्व समाज की राजनीति करते रहे है| उन्होंने इतिहास बताते हुए कहा कि जब वे पहली बार ब्लाक प्रमुख बने थे तब बाबू राजेंद्र सिंह यादव की राजनीति में तूती बोलती थी| और वे उस समय ब्लाक प्रमुख बने थे| हालात तब ये थे कि कुल वोटो में 22 यादव सदस्य थे और उन्हें 16 वोट मिले थे| यानि कि तब भी चुनाव केवल ठाकुर वोटो पर नहीं लड़े थे उन्हें यादवो का भी प्यार मिला था|
उन्होंने सपा नेताओ को आड़े हाथो लेते हुए जेएनआई से कहा कि ऐसे नेता किसी के सगे नहीं होते| और इस प्रकार की राजनीति बहुत दिनों तक नहीं चलती|[bannergarden id=”17″]