नई दिल्ली: संसद सत्र में पास ना हो पाए भ्रष्टाचार विरोधी पांच विधेयकों के लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है। ये वो विधेयक हैं जिन्हें सत्र शुरू होने से पहले राहुल गांधी ने पास कराने की बात कही थी। बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वो एक व्यक्ति के सियासी एजेंडे को अपना मिशन बनाना चाहती है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि उभारने के लिए केंद्र सरकार कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती। यही वजह है कि सरकार, संसद में पास ना हो पाए राहुल के पसंदीदा छह भ्रष्टाचार निरोधी विधेयकों को पिछले दरवाजे से कानूनी दर्जा दिलाना चाहती है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार छह भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक अध्यादेश के जरिये लागू कराएगी।
हालांकि सरकार इस सत्र में इन विधेयकों को पास कराना चाहती थी लेकिन अलग तेलंगाना के मुद्दे पर हुए जबरदरस्त हंगामे के चलते ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद सरकार सत्र की मियाद बढ़ाना चाहती थी लेकिन विपक्ष इसके लिए राजी नहीं हुआ।
संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मेरे पूरे प्रयास के बाद अन्य राजनीतिक पार्टियां इस बात पर राजी नहीं हुईं कि सदन का कार्यकाल बढ़ना चाहिए इसलिए आज 15वीं लोकसभा के आखिरी सत्र का आखिरी दिन है।
18 दिसंबर को संसद में लोकपाल विधेयक पास होने के वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह काबू पाने के लिए न्यायिक जवाबदेही बिल 2010 व्हिसल ब्लोवर प्रोटेक्शन बिल 2011 और सिटिजन चार्टर बिल 2011 समेत छह बिलों को भी पास कराना होगा।
इसके बाद सरकार ने इसे मौजूदा संसद सत्र का खास एजेंडा बना लिया था। व्हिसल ब्लोवर प्रोटेक्शन बिल 2011 तो आज आखिरी मिनटों में पास हो गया लेकिन बाकी बिलों के लिए अब अध्यादेश की खबर आने के बाद विपक्ष का आरोप है कि सरकार एक व्यक्ति के सियासी एजेंडे को पूरा करने में लगी है।
दरअसल विपक्ष के आरोपों की वजह साफ है। हाल के दिनों में संसद में रेहड़ी पटरी वालों की सुरक्षा से जुड़ा विधेयक, बजट में एक रैंक एक पेंशन को हरी झंडी या फिर रियायती सिलेंडरों की संख्या 9 से 12 होने जैसी कई मिसालें हैं जो ये साफ करती हैं कि जो किसी के कहने से पूरा नहीं होता, वो राहुल के कहने से पूरा हो जाता है।