नगरपालिका फर्रुखाबाद में घोटाले के लिए “लगभग” शब्द का हो रहा इस्तेमाल

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Nagarpalika Vehicle no Number1फर्रुखाबाद: हालात तब और गम्भीर और सोचनीय हो जाते है जब कोई संस्था किसी योग्य व्यापारी की देखरेख में चल रही हो| जो एक एक पाई का हिसाब किताब बखूबी रखता और नुक्ता बिंदी से पैसे बनाना जानता हो| नगरपालिका परिषद् फर्रुखाबाद भी दो कार्यकाल से व्यवसायी मनोज अग्रवाल या उनके परिवार के ही सदस्य नगरपालिका परिषद् के मुखिया का पद सम्भाले है| ऐसे में नगरपालिका के हिसाब किताब में जिसमे जनता की सम्पत्ति और लेखा जोखा हो, आंकड़े लगभग में लिखे जाने लगे तो कयास कुछ भी जनता लगाएगी ही| क्या किसी सरकारी रिकॉर्ड में अमुक वस्तु लगभग में होती है| शायद नहीं| वर्तमान प्रभारी नगरपालिका परिषद् अधिशासी अभियंता भी मानते है कि हर चीज बिलकुल सही संख्या में होनी चाहिए| मामला छोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा है| पैसा जनता का, हिसाब अध्यक्ष को देना चाहिए| ज्यादातर सभासद सवाल पूछने की हैसियत में नहीं है| अपनी अपनी पगड़ी पहले ही अध्यक्ष की ड्योडी पर गिरवी रख आये है|

दिनांक 15/02/2014 को नगरपालिका बोर्ड की बैठक का प्रस्ताव| लिखित दस्ताबेज है| सभी सभासदों को दिया गया होगा| और मीडिया के भाइयो को भी पढ़ने को मिला होगा| इस बैठक में प्रस्ताव संख्या 139 कुछ यू लिखा जाता है-

“आख्या जलकल विभाग कि फर्रुखाबाद फतेहगढ़ सीमा में इंडिया मार्का हैंडपंप लगभग 3000 (तीन हजार) स्थापित है, जिनके रखरखाव हेतु पाइप, बैरिंग, चेन, सरिया, वषर, धोल्ची, चेक्वाल आदि की आवश्यकता रहती है| वर्तमान में जलकल स्टोर में हैंडपंप मरम्मत सामग्री समाप्त पर आ रही है और निकट भविष्य में ग्रीष्म ऋतू प्रारम्भ होने जा रही है| अत: हैंडपंप को सुचारू रूप से रखने हेतु हन्द्पम्प मरम्मत सामग्री क्रय किये जाने में पालिका का व्यय भार लगभग रुपये 10,00,000/- (दस लाख रुपये) होगा|
वास्ते स्वीकृत बोर्ड|”

झूठ का सार- नगरपालिका परिषद् को नहीं मालूम कि उसके इलाके में कुल कितने हैंडपंप है| प्रस्ताव में “लगभग” शब्द का इस्तेमाल किया जाता है| लगभग 10 फ़ीसदी भी कम ज्यादा हुआ तो मामला 300 हैंडपंप तक हो जाता है| एक हैंडपंप अब सरकारी भाव 30000 से कम का नहीं लगता| यानि कि 1 करोड़ का माल लगभग में समां गया|