उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72,825 सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में इन हजारों सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति के मसले पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हालांकि, राज्य सरकार की याचिका पर शीर्षस्थ अदालत ने नोटिस जारी कर प्रतिपक्षों से जवाब तलब किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों के चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर किए जाने का आदेश दिया था और बसपा सरकार में 30 नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन को सही ठहराया।
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साथ ही मौजूदा सरकार के 31 अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द कर दिया है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सूबे की सरकार को 31 मार्च तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।
3 मार्च को होगी अगली सुनवाई
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की, जिस पर अदालत ने कहा कि इस मसले पर टीईटी की अनिवार्यता को लेकर पहले से एक मसला पीठ के समक्ष लंबित है। ऐसे में अदालत उस मसले के निपटारे तक रोक नहीं लगा सकती है।
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वहीं अनिवार्यता के मसले पर अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता आरके सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक उस मामले में जवाब तक नहीं दाखिल किया है। इस पर प्रदेश सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और अपनी याचिका पर नोटिस जारी करने का आग्रह किया।
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पीठ ने तब हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए राज्य सरकार की याचिका पर प्रतिपक्षों को नोटिस जारी कर दिया और मामले पर अगली सुनवाई की तिथि 3 मार्च तय कर दी।
31 मार्च तक नियुक्ति पूरी करने का है निर्देश
याद रहे कि अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया इस साल 31 मार्च तक पूरी करने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने शीर्षस्थ अदालत से अपनी याचिका में कहा है कि अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द करने और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में जारी किए गए नवंबर, 2011 को जारी भर्ती विज्ञापन को सही ठहराए जाने के हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है।
अखिलेश सरकार की ओर से 2012 में जारी किए गए शासनादेश में टीईटी को मात्र अर्हता माना गया था और चयन का आधार शैक्षणिक गुणांक कर दिया गया था।
हाईकोर्ट पहले ही दे चुका है फैसला
हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के 15वें संशोधन के नियम 14 (3) को असंवैधानिक करार दिया और इस साल मार्च तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अभ्यर्थी शिवकुमार पाठक व अन्य की ओर से दायर याचिका पर प्रदेश सरकार के 26 जुलाई, 2012 के उस शासनादेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उस्मानी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर टीईटी प्राप्तांक को मेरिट नहीं बनाने की बात कही गई थी।
हाईकोर्ट की गत वर्ष 20 नवंबर को डबल बेंच ने एकल खंडपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर यह फैसला दिया था।