रिश्ते सुधारने मोदी के घर पहुंचीं पावेल, मिलाया हाथ

Uncategorized

Pavelनई दिल्ली: भारत में अमेरिका की राजदूत नैंसी पावेल ने आज नरेंद्र मोदी से गांधीनगर में मुलाकात की। दोनों राजनेताओं ने बड़े ही गर्मजोशी से एक दूसरे से हाथ मिलाया। मोदी ने नैंसी पावले को फूल भी भेंट किए। सूत्रों के मुताबिक नैंसी पावेल मोदी के साथ मुलाकात में लोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों और देश के बारे में उनकी दृष्टि पर चर्चा की जा सकती है।

[bannergarden id=”8″]
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हवा चुनावों में चले या न चले, लेकिन उससे पहले जो हवा बनी है, उसका असर दिखने लगा है। जो अमेरिका मोदी के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ता नजर आता था, जो अमेरिका, मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा है, उसी अमेरिका को अब मोदी से मेल-मिलाप बढ़ाने की आ पड़ी है। तभी तो नरेंद्र मोदी से आज मुलाकात करने के लिए नैंसी पावेल तय वक्त से एक दिन पहले अहमदाबाद पहुंच गईं थी। नैंसी पावेल ने आज नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
[bannergarden id=”11″]
इस मुलाकात से सरकार और कांग्रेस के एक खेमे में उदासी है, तो विपक्ष ने इसे मोदी के मेकओवर की कोशिश के रूप में देखा। जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहना है कि नरेंद्र मोदी अपने चाल चलन का अमेरिका से सर्टिफिकेट चाहते हैं।
[bannergarden id=”17″]
सियासी हलकों में मोदी-पावेल मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। बीजेपी के एक खेमे का दावा है कि इस मुलाकात के लिए अमेरिका को खासी मशक्कत करनी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक पावेल-मोदी मुलाकात के लिए पर्दे के पीछे चार महीनों से कोशिशें चल रही थीं। इस कोशिश में कई अमेरिकी सांसद और कारोबारी शामिल थे। पावेल ने दिल्ली में भी एक भोज का प्रस्ताव रखा था, लेकिन ये परवान नहीं चढ़ पाया। दिल्ली के गुजरात भवन में मुलाकात को भी खारिज कर दिया गया।

आखिर में 14 जनवरी को मकर संक्रांति समारोह के दौरान मित्रता दूतों की ओर से रखे गए प्रस्ताव को मोदी ने मान लिया। इसके बाद जनवरी के अंतिम सप्ताह में अमेरिकी दूतावास ने विदेश मंत्रालय को दरख्वास्त भेजी। विदेश मंत्रालय ने दोनों के बीच होने वाली बातचीत के ऐजेंडे को तौला, इसके बाद मुलाकात के लिए हरी झंडी दे दी गई।

इसी के बाद तय हो गया कि अमेरिका को बातचीत के लिए गांधीनगर का सफर करना पड़ेगा। मोदी और नैन्सी पावेल की मुलाकात पर बीजेपी नेता कीर्ति आजाद का कहना है कि मैं अमेरिका की तरफ देखूं भी न, कोई फर्क नहीं पड़ता अमेरिका वीजा दे या न दे। जब कोई अच्छा, कठोर लीडर देश में आता है तो अमेरिका भी घबराता है।

नौ साल की दूरी के बाद मोदी से संपर्क की इस पहल को अमेरिका बड़ा बदलाव मानने से कतरा रहा है। अमेरिका के मुताबिक यह मुलाकात भारत में राजनीति और कारोबार जगत के लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है। यह बात और है कि मोदी से अमेरिकी राजदूत की मुलाकात को लेकर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की नुक्ताचीनी को अमेरिका ने सिरे से खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि खुर्शीद ने गुजरात दंगों की तुलना यहूदी नरसंहार से की थी।