फर्रुखाबाद: घटियाघाट स्थित मेला रामनगरिया में बीते दिन शुक्रवार को हुई तेज बारिश और आंधी के चलते सांस्कृतिक पांडाल धड़ाम हो गया। मेला क्षेत्र में जगह-जगह पानी भर गया। मेला इंतजामिया कमेटी ने खुद अपनों अपनों के लिए तो लाव का इंतजाम कर लिया मगर कल्पवासी क्षेत्रो में अलाव का कोई इंतजाम नहीं हुआ| वैसे मेला की व्यवस्था की अनदेखी जिला स्तर के अधिकारियो को हमेशा ही भारी पड़ी है| मेले के दौरान या मेले के बाद तबादलो का पुराना इतिहास है| आखिर आस्था माँ गंगा के साथ जो जुडी है| इसमें ऊपरी कमाई नुकसानदेह ही होती रही है| कुल मिलकर अब तक कल्पवासियों एवं साधु संतों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
शुक्रवार को सुबह से ही बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। इसके बाद दिन में कई बार बारिश हुई और शाम को मूसलाधार बारिश के साथ आंधी आ गई। जिसमें मेला क्षेत्र में लगा सांस्कृतिक पांडाल धड़ाम हो गया। बीती रात रुक-रुक कर बारिश होती रही। गड्ढों में जगह-जगह पानी भर गया। शनिवार को भी सुबह रिमझिम बारिश हुई। कल्पवासियों को इस दौरान भारी दिक्कत उठानी पड़ी। हरदोई से आए रामनाथ, सियाराम, आशुतोष शुक्ला, यादवेन्द्र सिंह, सियारानी, शाहजहांपुर से आए विपुल तिवारी, अनोखे लाल, मालती देवी, गायत्री देवी व राजनाथ ने बताया कि प्रशासन की ओर से कल्पवासियों के लिए कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है।
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मेले का अभी पहला ही चरण है मगर ऐसा लगता है कि बिना मजबूत तैयारी के मेले की शुरूआत कर दी गई हो। अधिकारी तो चैकन्ने हैं लेकिन उनके मातहत आदेशों का पालन शीघ्रता से नहीं कर पा रहे हैं शायद यही कारण है कि मेले में अव्यवस्थाओं का बोलबाला दिखाई दे रहा है। इधर, पड़ रही भारी सर्दी के कारण भी कोई कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है और न ही मेले में मेले जैसा माहौल देखने को मिल रहा है। हालांकि कल्पवासियों ने गंगातट पर डेरे डाल दिए हैं और रोज सुबह-शाम गंगा आरती और हवन-पूजन हो रहा है। मेला रामनगरिया का पहला सप्ताह अक्सर इसी प्रकार से बीतता है। इसके बाद जब मौसम में सुधार होता है तभी मेले में भी रौनक दिखाई देती है। विदेशी झूले लगाए जा रहे हैं और मनोरंजन के विभिन्न साधन उपलब्ध कराए जा रहे। मेले की सुरक्षा के लिए थाना पुलिस की व्यवस्था कर दी गई है। साधु-संत अपने-अपने क्षेत्रों में आध्यात्मिक वातावरण बना रहे हैं। मेला रामनगरिया में लगने वाली प्रदर्शनी लगाई जा रही है। अब भी दूरदराज के कल्पवासियों का मेले में आगमन जारी है लेकिन इन सब पर मौसम की मार भारी दिखाई दे रही है। पिछले दो दिनों से हुई बरसात ने मेले की सूरत ही बिगाड़ दी है। गिरा हुआ सांस्कृतिक पांडाल, सर्दी में ठिठुरते कल्पवासी और गंगातट पर गंगा को छूकर बहती शीतल हवाएं ठिठुरन को और भी बढ़ा रही हैं। [bannergarden id=”11″] [bannergarden id=”17″]