मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे केजरीवाल?

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arvind modiनई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की ओर से लगातार वार झेल रही आम आदमी पार्टी पलटवार की तैयारी में है। लोकसभा चुनाव तक समर्थकों का मनोबल बनाए रखने के लिए आप के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जल्द ही भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का ऎलान कर सकते हैं। ऎसा ही उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ किया था। सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल मोदी को गुजरात से बाहर चुनाव की चुनौती देंगे।

केजरीवाल की दलील है कि दोनों ही नेताओं का अपने-अपने राज्यों में आधार है। दोनों अपने राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उनको किसी न्यूट्रल प्रदेश से चुनाव लड़ना चाहिए जिससे आमने-सामने के चुनाव का दम दिखा सकें। हालांकि अभी इसमें एक महीने का वक्त लग सकता है। इस बीच, दिल्ली में कामकाज के जरिये केजरीवाल अपनी छवि एक कुशल प्रशासक के रूप में बनाना चाहते हैं। ताकि वे राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की काट बन सकें। पार्टी के कई नेता केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार बनाने की भूमिका गढ़ने में जुटे हुए हैं।

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केजरीवाल के इरादे भांप गए मोदी

केजरीवाल के भावी कदमों को भंापते हुए ही मोदी ने उन पर यह कहते हुए गोवा की रैली से यह निशाना साधा है कि मीडिया को दिल्ली के बाहर कुछ दिखता नहीं है। उन्होंने आप के राजनीतिक शगल की काट करते हुए मोदी ने कहा है कि सुचिता के प्रति भाजपा के संस्कार हैं, अटल सरीखे ऎसे नेता पैदा हुए जिनके पास पीएम बनने के बावजूद भी अपना कोई मकान नहीं है। क्या इसके बाद भी हमारी प्रमाणिकता और निष्ठा पर सवाल पूछे जाएंगे। आप में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारी पर रूख साफ नहीं होने के बीच, पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा है कि आम आदमी केजरीवाल को इस पद पर देखना चाहता है। इससे पहले योगेंद्र यादव भी यह बात कह चुके हैं कि वह केजरीवाल को भारत का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।
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मोदी के निशाने पर केजरीवाल

मालूम हो कि मोदी ने गोवा में विजय संकल्प रैली के दौरान आप पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बगैर कहा कि सादगी के नाम पर ड्रामा करना कहां तक उचित है। अब देश की जनता को तय करना है कि टीवी पर दिखने से देश का भला होगा या फिर देश के लिए नई सोच रखने वाला नेता देश का भला करेगा। मोदी ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर गोवा के मुख्यमंत्री दिल्ली में होते तो क्या होता, सारे देश को पता चल जाता कि इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी मनोहर पार्नीकर में कितनी सादगी है। लेकिन मीडिया वालों को दिल्ली के बाहर कुछ दिखता ही नहीं है। मैं खुद 12 साल से गुजरात में हूं, मीडिया वालों से हमेशा हारता रहा लेकिन जनता का दिल जीतता रहा हूं। अब देश को तय करना है कि टेलीविजन का चेहरा चाहिए या नई सोच। जनता चाहे तो देश का भाग्य बदल सकता है।
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