भाई की कुर्सी छीनने पर उतारू मुलायम

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नई दिल्ली।। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के ‘आत्मसमर्पण’ के बाद भी उनके पुराने साथी आजम

खान ने पार्टी में वापसी का सार्वजनिक ऐलान नहीं किया है। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि आजम चाहते हैं कि उन्हें यूपी विधानसभा में पार्टी विधायक दल का नेता बनाया जाए। लेकिन इसके लिए मुलायम को अपने छोटे भाई शिवपाल यादव नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाना होगा। इसी पर रस्साकशी चल रही है। हालांकि मुलायम के फैसले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया है। लेकिन आजम को जरूरत से ज्यादा सम्मान दिए जाने से पार्टी के ज्यादातर मुस्लिम नेता नाखुश हैं।

एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगर मुलायम एक महीने रुक जाते तो आजम खुद उनके दरवाजे पर आ जाते क्योंकि यह साबित हो चुका है कि अब वे मुसलमानों के नेता नहीं, सिर्फ एक मुस्लिम नेता हैं। मुलायम ने आजम के मामले में जो असमय पहल की, उसके पीछे शाही इमाम की अहम भूमिका रही है। इमाम के कहने पर ही मुलायम ने आजम का निलंबन खत्म किया और उन्हें मनाने की बात कही।

क्या आजम को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा? इस सवाल पर वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बात मुलायम भी जानते हैं कि ज्यादातर विधायक आजम खान के खिलाफ हैं। जहां तक शिवपाल का सवाल है तो विधायक उनके साथ इसलिए नहीं है कि वह मुलायम के भाई हैं बल्कि इसलिए हैं क्योंकि वह उनसे गहराई से जुड़े हैं।

सच तो यह है कि यूपी में मुलायम की राजनीति को शिवपाल ही सही मायने में आगे बढ़ा रहे हैं। एसपी प्रवक्ता मोहन सिंह का कहना था कि शिवपाल तो पहले ही कह चुके हैं कि वह पद छोड़ने को तैयार हैं। पार्टी में मुलायम सिंह के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठाता। फिलहाल भी ऐसी कोई बात नहीं है।

पार्टी के कुछ नेता इस खींचतान को मुलायम परिवार की अंदरूनी खींचतान से भी जोड़ रहे हैं। यूपी के एक नेता का कहना था कि शिवपाल कभी आजम खान के करीबी नहीं रहे जबकि रामगोपाल से उनकी दोस्ती जगजाहिर है। शिवपाल अमर सिंह की पसंद माने जाते हैं।

अमर सिंह के निकाले जाने के बाद से ही रामगोपाल आजम खान को वापस लाने की कोशिश में लगे थे। इमाम बुखारी के हस्तक्षेप ने उनकी मुहिम को मंजिल तक पहुंचा दिया है। वैसे फिलहाल यह साफ नहीं है कि आजम खान कब एसपी में लौटेंगे लेकिन उनकी वजह से मुलायम के परिवार में खींचतान मची हुई है।