कहीं आज आप टूथपेस्ट करना भूले तो नहीं? आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल है। इस बात का जवाब देने से पहले हम एक सवाल आपसे और करेंगे- अगर टूथपेस्ट न होता तो हम दांत किससे साफ कर रहे होते? साबुन, शैम्पू, विम बार, ग्रीस, थिनर, कार वैक्स…? खैर हम आपको यह इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि आज (10 नवंबर) वर्ल्ड टूथपेस्ट डे है। यदि सुबह टूथपेस्ट कर भी चुके हैं, तब भी इस दिन को याद रखने के लिए रात में एक बार फिर करिए।
जी हां कम से कम आज के दिन आपको टूथपेस्ट करना नहीं भूलना चाहिए। बात अब टूथपेस्ट की चल पड़ी है, तो हम आपको बता दें, कि ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। जरा सोचिए अगर दांत साफ नहीं होंगे तो क्या होगा। उनमें कीड़े लगेंगे, और आगे चलकर दांत गिर भी जाएंगे। दांत गिरने का सीधा प्रभाव हमारी पाचन क्रिया पर पड़ता है, जिससे तमाम अन्य रोग उत्पन्न होते हैं। लिहाजा अपने दांतों के प्रति हमेशा सजग रहें। नियमित रूप से अपने दांतों का चेकअप करवाएं।
टूथपेस्ट का इतिहास-
2000 ईसा पूर्व मिस्र के लोगों ने इसे बनाया था। उन्होंने प्यूमिक स्टोन को सिरके के साथ मिलाकर दांत साफ करना शुरू किया था। वो ब्रश की जगह पेड़ की डंडी इस्तेमाल करते थे। आगे चलकर रोम के लोगों ने अपने दांत अपने मूत्र से साफ करने शुरू किए। उनका मानना था कि मूत्र से दांत सफेद हो जाते हैं।
वैज्ञानिकों की मानें तो रोम के लोग सही थे। 18वीं सदी तक मूत्र को टूथपेस्ट और माउथवॉश बनाने में इस्तेमाल किया जाता रहा। आधुनिक काल में टूथपेस्ट में अमोनिया का इस्तेमाल किया जाता है। आज तमाम तरह के फ्लेवरों में टूथपेस्ट बाजार में उपलब्ध है। कई तरह की जड़ी बूटियां भी इस्तेमाल की जाती हैं।