दिल्ली: केंद्र ने राज्य सरकार से दो टूक शब्दों में शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने से इन्कार कर दिया है। केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने इस संबंध में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी को भेजे पत्र में कहा है। शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ने पर निर्णय लेने का अधिकार राज्य के अधीन आता है। केंद्र सरकार की इस बाबत कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।
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इससे साफ हो गया है कि शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने पर निर्णय राज्य सरकार को ही करना ह। प्रदेश में 1.76 लाख शिक्षा मित्र बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इन्हें प्रतिमाह 3500 रुपये मानदेय मिल रहा है। शिक्षा मित्र पिछले कुछ वर्षों में मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं।
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राज्य सरकार हर बार उन्हें यही आश्वासन देती है कि मानदेय बढ़ाने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन वह नहीं बढ़ा रही है। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री ने पिछले 15 अक्तूबर को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को शिक्षा मित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 8500 रुपये करने का प्रस्ताव भेजा था।
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इसके जवाब में केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। गौरतलब है कि इसके पहले भी शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने संबंधी पत्र केंद्र को भेजा जा चुका है, लेकिन उसका कहना था कि यह मामला राज्य सरकार का है।