नई दिल्ली|| गठिया की चपेट में आने वाले अधिकांश लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव कर इस बीमारी से बच सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक लंबे समय तक पाल्थी मारकर बैठने से आर्थराइटिस को बढ़ावा मिलता है। हिंदुस्तानियों में यह आम है। इससे बचना होगा। इसी तरह कुछ अन्य प्रचलित आदतों में भी बदलाव वक्त की जरूरत है।
भारत में इस समय लगभग 13 फीसदी लोगों में अस्थि रोगों की समस्या है। इनमें से छह से सात फीसदी सिर्फ गठिया यानी आर्थराइटिस से पीडि़त हैं। एम्स में क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रूमेटोलॉजी की प्रमुख डॉ. उमा कुमार के मुताबिक इनमें से अधिकांश लोग अपनी जीवनशैली में थोड़े से बदलाव कर इससे बच सकते हैं। इस रोग के ज्यादातर मामलों में मरीज का वजन ज्यादा पाया गया है। इसलिए बढ़ते वजन को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। इसी तरह ध्यान रखें कि भोजन में कैल्सियम युक्त चीजों को पर्याप्त जगह दें। हड्डियों के लिए विटामिन-डी बेहद जरूरी है। इसके लिए आधे घंटे की धूप जरूरी है।
डॉ. कुमार के मुताबिक आधुनिक जीवन शैली में अधिकांश शहरी महिलाएं धूप से पूरी तरह परहेज करती हैं जबकि सिर्फ आधे घंटे अगर शरीर के चौथाई हिस्से को भी धूप मिलती रहे तो इनकी समस्या कम हो सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि इस दौरान वे धूप से बचाव वाले (सन स्क्रीन) लोशन का इस्तेमाल न करें।
इसी तरह पूजा-पाठ से लेकर दिनचर्या के अधिकांश काम के दौरान पालथी में लंबे समय तक बैठने की आदत भी पैरों की हड्डियों के लिए समस्या पैदा करती है। कुर्सी या बिस्तर पर पैर लटका कर बैठें या जमीन पर पैर सीधे रखकर बैठें। भारतीय शैली के शौचालय की वजह से भी घुटनों पर ज्यादा जोर पड़ता है। पैरों की ही तरह कमर भी सीधी रख कर बैठना जरूरी है।
आदत नहीं हो तो एकाएक ज्यादा वजन का सामान उठाने से भी समस्या हो सकती है। कंप्यूटर पर ज्यादा समय तक काम करने वालों के लिए तो बैठने की मुद्रा पर ध्यान देना सबसे जरूरी होता है।