फर्रुखाबाद: बहुत जल्दी अगर पारदर्शिता से सब कुछ हुआ तो बेसिक शिक्षको की फजीहत आपको पढ़ने को मिल सकती है| क्योंकि आदर्श शिक्षक जो चुने गए है उन्हें परीक्क्षा पास करनी होगी| इस परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र जिले के टोपर छात्र बनाएंगे| बहुत मुमकिन है कि जो शिक्षक अब तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने चुने है वे फेल हो जाए| क्योंकि इनमे से अधिकांश वे शिक्षक है जो कभी स्कूल में बच्चो को पढ़ाने नहीं जाते| कुछ नेतागिरी करते है तो कुछ सिर्फ स्कूल निरीक्षण के नाम पर शिक्षको से अवैध वसूली करते है| एक मैडम तो सिर्फ परिषदीय और अन्य विभागो के सांस्कृतिक कार्यक्रमो में शिरकत के साथ साथ कवी सम्मेलनो में मंच पर देखी जाती है| और ज्यादा हो गया तो नियमित बोर्ड परीक्षा में सचल दस्ते में नक़ल पकड़ने जाती है| तो ऐसी हालात में बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष अपने आदर्श शिक्षको की इज्जत बचाने की बड़ी चुनौती अब सामने आने वाली है वशर्ते सब कुछ पारदर्शी ढंग से हो| इसमें कहीं न कहीं जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी पवन कुमार की भूमिका भी एक बड़े आदर्श के रूप में होगी| उन पर जिम्मेदारी होगी कि वे उस समिति के चयन में अच्छे और ईमानदार लोगो को चुने जिन्हे आदर्श शिक्षको की परीक्षा लेनी है|
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परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों में से तीन श्रेष्ठतम गुरुजन चुनने की बेसिक शिक्षा विभाग की कवायद को टॉपर छात्र परवान चढ़ायेंगे। उत्कृष्टता की इस दौड़ में शामिल शिक्षकों को मेधावियों के सामने अपने विषय ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करना होगा। प्रदर्शन के आधार पर मेधावी उनका रिपोर्ट कार्ड भरेंगे।
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राज्य स्तर पर परिषदीय स्कूलों से श्रेष्ठतम शिक्षकों की तलाश के पीछे मकसद है कि इनके अनुभव व अध्यापन शैली का लाभ दूसरे शिक्षक भी उठायें। इस कड़ी में पहले ब्लॉक, फिर जिला, मंडल और राज्य स्तर पर तीन-तीन शिक्षकों का चयन होना है। जिलों में ब्लॉक स्तर पर तीन श्रेष्ठ शिक्षकों का चयन खंड शिक्षा अधिकारियों के जरिये कराया गया है। ब्लॉक स्तर पर चुने गए शिक्षकों में से जिले के तीन उत्कृष्ट अध्यापक चुने जाने हैं। जिले के तीन श्रेष्ठतम गुरुजन का चयन करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने एक प्रक्रिया तय की है जो दिलचस्प है। इस प्रक्रिया के तहत जिले के तीन श्रेष्ठतम शिक्षकों के चयन के लिए एक समिति बनायी जाएगी। इसमें यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं में सबसे ज्यादा अंक पाने वाले दो-दो विद्यार्थी होंगे जो उसी जिले में पढ़ रहे हों। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य द्वारा नामित एक बीटीसी प्रशिक्षु, जिले में सर्वाधिक छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूल की विद्यालय प्रबंध समिति का अध्यक्ष, जिले का एक स्नातक ग्राम प्रधान और जिलाधिकारी द्वारा नामित एक अधिकारी भी समिति के सदस्य होंगे। ब्लॉक स्तर पर चुने गए शिक्षकों को समिति के सामने अपना विषय ज्ञान दस मिनट में अध्यापन के जरिये प्रदर्शित करना होगा। समिति के सदस्य उस आधार पर शिक्षक का मूल्यांकन उसे नंबर देंगे।
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सर्वाधिक नंबर पाने वाले तीन शिक्षकों को जिला स्तर पर चयनित किया जाएगा। सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार कहते हैं कि समिति में मेधावी छात्र इसलिए शामिल किये गए हैं क्योंकि शिक्षक अपने विषय ज्ञान को कितना समझा पा रहा है, इसका सही मूल्यांकन वही कर सकते हैं। उनके मुताबिक जिस शिक्षक को 100 में से 80 अंक से कम मिलेंगे उसे संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी की प्रविष्टि में दर्ज किया जाएगा कि उसने सही शिक्षक का चयन नहीं किया। उन्होंने बताया कि इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों, शिक्षक संगठनों से वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये बात हो चुकी है। जल्द ही शिक्षकों का मूल्यांकन शुरू होगा।